मैं आज बात करना चाहूँगी मातृत्व के खूबसूरत सफर के बारे में।
हम से कई यहां नई माँ है तो कई इस सफर में आगे तक निकल चुकी है, कुल मिलाकर बात यही है कि ये सफर जितना आगे बढ़ता है उतना ही और खूबसूरत होते चला जाता है। हम जो भी शिकायत करते है समय की कमी होना या व्यस्तता होना वो सब व्यर्थ नहीं लगता है। उसके बदले हमे जो अनुभव मिल रहा है उसका कोई मोल नहीं है।
हर बच्चा अलग होता है इसलिए हर माँ का मातृत्व का सफर भी यूनीक ही होता है। हम सभी को एक ही मापदंड पर नहीं रख सकते हैं।
मैं अपनी बात करूँ तो मातृत्व के शुरुआती दौर में तो मुझे बिल्कुल भी कोई परेशानी नहीं आई क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि मैं जो थी अब वो नहीं हूं.. मेरा जन्म हुआ है एक माँ के तौर पर। मेरे बच्चे के जन्म के साथ ही मेरा जन्म उसकी माँ के तौर पर। मैंने अपने टाइम से उसे एडजस्ट नहीं किया बल्कि उसके टाइम से खुद को एडजस्ट किया और ये उतना भी मुश्किल नहीं था। समर्पण का फल मीठा होता है इसलिए समय के साथ ही वो भी मेरे समय अनुसार खुद ढलते गया। मेरे शुरुआती मातृत्व के सफर में इसलिए मुझे रात रात भर जग कर परेशान होना या चिड़चिड़ापन याद नहीं है। हाँ जब शिक्षा का दौर शुरू होता है तब जरूर असली परेशानी शुरू हुई क्योंकि यहां भी बात वही की हर बच्चा यूनीक तरीके से सीखता है।
खैर जब तक एक माँ का जीवन है तो जीवन पर्यंत उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा ही। लेकिन उन चुनौतियों में भी अपने लिए खुशियां ढूंढना हमारी जिम्मेदारी है।
एक माँ के हर बच्चे अपने आप में यूनीक है तो अपने ही दो बच्चों को भी आपस में तुलना करना मातृत्व के सफर की गलती होती है। तो अपने अनुभवों के आधार पर मेरा यहि कहना है कि खुश रहिये और मातृत्व के हर चुनौतियों को हँस कर धैर्य से पार करिए। आपके बच्चों की मुस्कान आपका इनाम है।
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