बड़ी बड़ी लंबी लड़ाईयों
बड़ी-बड़ी कुर्बानियों के बाद
देखा था पूर्वजों ने जिसका सपना
वह आजादी मिल ही गई -2
आजादी भला कहां होती है पुरानी?
वह तो हर पल लगती है नई
पर सोचने वाली बात है कि
उस राह पर कहीं हम भटक तो नहीं गए
और 73 साल पहले वहीं उस पल में कहीं अटक तो नहीं गए
वैसे भी बड़ी मोहक और लुभावनी भी है आजादी -2
जिसे हर कोई चाहता है
आज देखो ना कोई अपने से
तो कोई अपनों से आजाद होना चाहता है
हां हो गए हम आजाद पर
ये आजादी कुछ आंखों में खटक सी गई आजादी मिलते ही
सांप्रदायिक दंगों की तलवार
सर पर लटक ही गई
झुलसती हुई आजादी मिली
पर आंखों में सपने भी है -2
हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश
यहां के सारे लोग हमारे अपने ही हैं
हम गरीबी से लड़े
हम अशिक्षा से लड़े
सामरिक रूप से खुद को मजबूत कर
हम पड़ोसियों से भी लड़े
पर! इन कामयाबीयों के बीच में
अभी कुछ पाना बाकी भी है-2
कन्या को देवी मानने वाले देश में
औरत को सम्मान दिलाना बाकी ही है जनसंख्या पर नियंत्रण, भ्रष्टाचार से छूट
वहीं धर्म प्रांत और
जात-पात का भेद मिटाना अभी बाकी ही है
हां भूलना मत
आजादी पाना आसान नहीं था
आजादी पाना आसान नहीं है
और आजादी पाना फिर आसान नहीं होगा
मुश्किलों से मिली हुई आजादी
इससे मुश्किल है उसे बचाए रखना-2
आगे राह में आएंगी और कई मुश्किलें
मगर हर किमत पर
देश का ताज उसके सर पर सजाए रखना-2
©सुषमा तिवारी
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