आजकल मौसम का भी कुछ भरोसा नहीं रहता। थोड़ी देर पहले धूप थी और अचानक ही ठण्डी हवायें चलनी शुरू हो गई थी। वैसे तो स्टेशन के पास हमेशा ही ज्यादा भीड़ रहती थी पर कोरोना काल में लम्बे लॉकडाउन के दौरान वहाँ भी सन्नाटा पसरा रहता था। महीनों बाद अनलॉक में खुली फेमस वडा पाव की दुकान के आगे भी अब वापस भीड़ बढ़ने लगी थी। ऑटो के इंतजार में मैंने भी वडा पाव के दुकान के आगे ही शरण ली हुई थी। वहीं थोड़ी दूर, दुकान के बाहर कोने में एक और आदमी खड़ा था। देखने में ठीक ठाक ही लग रहा था पर हर थोड़ी देर में उसकी आँखे मुझपर आकर गड़ जाती थी। पहले पहल तो उसका व्यवहार अजीब सा लगा फिर जब वो मेरी तरफ बढ़ा तो संशय में पड़ा मन बुदबुदाया, 'शायद उसे कुछ पूछना होगा'।
" सुनिए!"
उसकी आवाज़ में घबराहट साफ झलक रही थी।
" हाँ कहिये, क्या बात है?"
" मुझे भूख लगी है.. और एक वडा पाव खाना था.."
ओह! तो यह बात थी। पर सामने ही तो सार्वजनिक मुफ्त भोजनालय था और ये पुण्य कार्य कोरोना के आते ही शुरू हो गया था। 'कोई व्यक्ति भूखे पेट ना सोए' इस भाव से दिन रात कई लोग लगे हुए थे, फिर ये वहाँ क्यों नहीं खा लेता? खैर एक वडा पाव के लिए इतना सब सोचना भी बेमानी था। मैंने जेब से पैसे निकालते हुए दुकान वाले को दो वडा पाव देने का इशारा किया।
" नहीं नहीं, ऐसे नहीं सर!" उसने अपनी पीठ पर टँगा बैग उतारा और उसमे से कुछ अगरबत्तियों के पैकेट निकाल लिए।
" सोचा था कुछेक तो बिक ही जाएंगे.. पर जाने दीजिए.. आप मुझसे एक पैकेट भी खरीद लेते तो मेरी भूख का उपाय हो जाता.."
मैं कुछ पलों के लिए स्तब्ध खड़ा था।
" ऐसा करो! मुझे दस पैकेट दे दो "
सौ का नोट बढ़ाते हुए मैंने कहा।
अगल-बगल खड़ी छोटी सी भीड़ ने भी जो ये सब देख रही थी, हाथो हाथ लपकते हुए उसके कई पैकेट खरीद लिए।
मैंने देखा वडा पाव खाते हुए उसके चेहरे पर संतोष के भाव और आँखें कुछ भींगी हुई सी थी। आखिर भूख मिटते समय आत्मसम्मान बना रहे, ये किसे नहीं अच्छा लगेगा?
"शुक्रिया!"
" इसमे शुक्रिया जैसा कुछ नहीं.. मुझे वैसे भी सामान लेना था, आपसे ले लिया"
" दरअसल कल क्रिसमस है और मैंने सोचा था अपने बच्चे का सैंटा बन कर कुछ तोहफा दूँगा.. और यहां पेट की आग बुझानी मुश्किल लग रही थी। आपकी एक पहल ने मेरे बच्चे का क्रिसमस बना दिया। "
उसके चेहरे की मुस्कुराहट बता रही थी कि शायद उसे भी यकीन था कि इंसानियत अभी मरी नहीं है और मुझे यकीन हो चला था कि सैंटा बनना इतना भी मुश्किल नहीं।
©सुषमा तिवारी
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
खूबसूरत
बहुत बढिया
खूबसूरत
Heart touching
उम्दा कृति हमेशा की तरह
बहुत बढ़िया लघुकथा..
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