हाइकू।
सुनने में ही प्यारा सा लगने वाला हाइकु हिंदी काव्य का नवीनतम छंद है। इसमें तीन चरण या पद होते हैं। पहले चरण में पाँच वर्ण, दूसरे में सात वर्ण एवं तीसरे में पाँच वर्ण होते हैं। इस तरह तीनों चरणों में कुल सत्रह वर्ण( स्वर या स्वर युक्त व्यंजन होते हैं। स्वर रहित व्यंजन (हलन्त) की गिनती नहीं की जाती, जैसे सत्कार में त् की गणना नही की जाएगी । इस शब्द में स, का और र की ही गणना की जाएगी । इस गणना में लघु/दीर्घ मात्राएँ समान रूप से गिनी जाती हैं।वास्तव में हाइकु का मूल स्वरूप कम शब्दों में ‘घाव करें गम्भीर ’ की कहावत को चरितार्थ करना ही है।
(Haiku is basically Japanese poetry mode.
It consists of 3 lines - containing 5-7-5 characters respectively.
The combined letter is counted as a single letter.
It is emotion-oriented! It condensed into fewer words
There is an artistic presentation of cognition, every word of haiku is an emotional experience.)
इतिहास :-
एक शताब्दी पूर्व सन् 1900 ई0 के लगभग जापानी साहित्यकार मासाओका शिकि ( 1867-1902) ने विशिष्ट जापानी छंद “होक्कु” को एक नया नाम हाइकु (Haiku) दिया जिसने लोकप्रियता के बड़े मानकों को प्राप्त किया। आज जापान में लाखों लोग इस छन्द में रचना करते हैं । भारत की अनेक भाषाओं के साथ -साथ हाइकु विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में लिखा और पढ़ा जा रहा है । भारतीय साहित्य की उर्वरा भूमि को यह कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जापानी तोहफा है।
जैसे
"Girl"
Glorious mountain
A pretty, happy girl skips
beyond the flower
©Sushma Tiwari
"मजबूर"
सबने देखा
बिखरी रोटी पड़ी
किसने पूछा
चलते गए
पांव के छाले देख
जलते गए
मर ही गए
क्या फर्क़ पड़ता है
जिंदा कब थे
आएगी बारी
सबकी एक दिन
इंतजार है
©सुषमा तिवारी
आप कई हाइकु को जोड़ कर कविता का निर्माण कर सकते हैं। तो लिखिए और हमे भी पढ़ाये।
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