सृष्टि हूं

सृष्टि हूं मैं

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 16 Nov, 2019 | 1 min read

मांग रही हूं साफ़ हवा मैं

थोड़ी थोड़ी दोगे क्या

पेड़ लगाना भूल गए थे

बोलो अब करोगे क्या


कल तक जिसको कुछ ना समझा

आज मोल समझ में आया है

अपने अपने मतलब की करना 

सबने आखिर यही सिखाया है


वृक्ष ना होंगे तुम जी जाओगे

कितनी सारी भ्रांति है

होश में आओ समय नहीं है

वृक्ष बचाओ क्रांति है 


मैं नन्ही गुड़िया प्यारी सी

पेड़ बनकर आई हूँ

सोच रहे क्या दोनों रूप में

जीवन की पर्यायी हूं


वृक्ष नष्ट करोगे

साँस कहाँ से पाओगे

कन्या भ्रूण मिटाओगे

जन्म कहाँ से ले पाओगे


जो ना रहें हम दोनों ही तो

जीवन ना होगा धरती पर

समय बचा है सोच लो फिर से

पछताओगे फिर गलती पर


हमे बचा लो क्रूरता से

ये गुहार लगाती हूं

मैं बेटी हूं बनूँगी जननी

हाँ मैं ही सृष्टि कहलाती हूं

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