नारीवाद की बात नहीं करती
क्यूँकी मैं नारी हूं,
थोड़ी कमजोर हो सकती हूं
स्त्री शरीर से
पर मन से नहीं हारी हूं
मैं नारी सशक्तिकरण की अभिलाषी हूं
मुझे नारी अधिकार नहीं
इंसान होने का सम्मान चाहिये
सशक्त होने के लिए
नहीं कोई वरदान चाहिए
मुझे उड़ने के लिए
कोई विशेष पंख नहीं चाहिए
बस मेरे पंख कुतर ना दो तुम
तुम्हारी हर सोच से आजादी चाहिए
हम बराबरी की बात भी करते हैं
फ़िर चाहें की हमारी हर राह आसान हो जाए
नारी है तो हम कष्ट ना उठाए
फिर विशेषाधिकार की मांग भी करते हैं
अरे हम समाज के आधार है
परिवार के सूत्रधार है
बराबरी का सवाल ही नहीं आता
श्रेष्ठ कहीं है पहले से, उनको समझ नहीं आता
मत बांधो खुद को ही जंजीरों में
और नारी नारी चिल्लाओ
कर्म करो,दृढ़ रहो, सशक्त बनो
खुद अपनी पहचान बनाओ
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