चार महीने हो चुके थे, अनन्या अपने साथ हुए हादसे के बाद देश छोड़ कर ऑकलैंड आ गई, लोगों की जिल्लत भरी नज़रे उसे काटने दौड़ती थी। आज यहां रोशनी का त्योहार है, खिड़की पर खड़ी वह रंगीन, जगमगाते लालटेन कितने प्यारे लग रहे थे। तभी सहेली अंजलि ने कंधे पर हाथ रखा, "रोशनी का दरिया है ये, अपने अंदर के अंधेरे को मिटा दो, तब देखो उदासी के बादल छंटेंगे और खुशियां वापस आ जाएंगी। अनन्या को लगा जैसे वो इस रोशनी के समंदर में डूब रही है, अब उसे अच्छा लग रहा था।
रोशनी का दरिया
कोई हादसा रोक नहीं सकता
Originally published in hi
Sushma Tiwari
13 Aug, 2019 | 1 min read
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