प्यारी प्रेम परी,
मेरी जिंदगी में तुम परियों की तरह ही रहना, जैसे परियों की कहानी सुनने सुनाने में कितनी अच्छी लगती है, दिल को भाती है, हर कोई परिकथा को जीना चाहता है। पर हक़ीक़त से कुछ खास वास्ता नहीं होता ना इन परिकथाओं का.. तो बस उसी तरह। वैसे भी चाहे कोई कितना भी चाहे जीवन में कभी ना कभी, कहीं ना कहीं तुम्हारे चलाए प्रेम बाण से घायल तो होना ही है। हम बस खो जाना चाहते हैं उन हसीन कहानियों में जो तुमने हमारे जेहन में बुन रखी है। जरूरी भी है.. सबको हर रिश्ते में एक सकरात्मक ठहराव चाहिए और अगर तुम ना रहो तो सम्भव ही नहीं होगा, है ना
कभी लगता था की काश तुम्हारा व्यक्तिव कवियों जैसा होता, जिनका प्रेम फूल की तरह होता है खुशबूदार, बिना छुए भी हम सुगंध ले सके वैसे, संवेदनशील.. हृदय की सुंदरता को देखने वाला, जो आजकल की वासना भरे प्रेम से परे हो, शरीर के उस पार तक देख सके, फिर लगा फूल भी मुर्झा जाता है, और उसकी खुश्बू को हम बाँध नहीं पाते।
पर जो भी हो परिपूर्ण व्यक्तिव हो तुम्हारा की बस ना तुम हम पर अधिकार चाहो और ना हम तुम्हें बांधे, बस प्रेम हो.. उसे खोने का डर ना हो, पाने की बेचैनी ना हो, इतना परिपूर्ण हो, तुमसे भय ना लगे, तुम्हारे हर सवाल का जवाब ना देना पड़े, तुम्हारे लिए त्याग ना करना पड़े.. इतना परिपूर्ण हो तुम्हारा व्यक्तिव।
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