रग रग में हिंदी

हिन्दी मेरा अभिमान

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 12 Sep, 2019 | 1 min read

रग रग में जो लहू जैसी बहती वो हिन्दी है


मेरी सोच मेरी समझ मेरा ज्ञान वो हिन्दी है


मातृभाषा वो राष्ट्रभाषा वो चमकते रहे सदा


मेरा गर्व, मेरा सम्मान,अभिमान वो हिन्दी है



जी हां हिन्दी मेरी रग रग में शुरू से ही थी, पर एक दिन जब किसी ने सबके सामने ये कह कर तारीफ किया की ये हिंदी में बहुत अच्छा लिखती हैं तो जैसे पंख लग गए थे। सोसाइटी में सबने सम्मानित किया और कहा कि हमारे बच्चों के लिए हिंदी दिवस का लेख आप ही लिखिए।


 स्मृति पटल पर सब कुछ वापस दौड़ पड़ा। मेरा जन्म महानगर में हुआ था, घर पे पापा को हिन्दी में कविता, कहानी, नाटक बचपन से ही लिखते देखा। बचपन से ही हिन्दी में रुचि थी, और सभी भाषाओं को सीखने की ललक। पर हिन्दी रग रग मे तब तक फैल चुकी थी जब तक सरस्वती विद्या मंदिर से स्कूल खत्म हुआ। स्नातक खत्म होने तक लत लग चुकी थी, विद्या भवन महाविद्यालय की लाइब्रेरी में कोई किताब ना बची जिसे हम पी ना गए हों। हिन्दी में पहचान बन रही थी, वाद विवाद, लेखन प्रतियोगिता, अखबार, सुमन सौरभ, नंदन मे प्रकाशित भी हुई।


जब मुंबई वापस आई तो स्नातकोत्तर प्रबंधन एम बी ए (एच आर) से करते हुए हिन्दी से दूरी हो गई,। फिर कान्वेंट स्कूल में पढते हुए एहसास हुआ की हिन्दी को उस इज़्ज़त नहीं देखते अब।


स्कूल से ये पैगाम आता है की आप घर पर हिन्दी ना बोले बच्चे की भाषा खराब हो जाएगी। खुन खौलता था ऐसे फरमान सुनकर, पाश्चात्य संस्कृति का पीछा करते हम कहाँ जा रहे हैं, अपनी भाषा की इज़्ज़त नहीं कर पाएंगे तो क्या करेंगे? आज जब अपने नेता, प्रधान मंत्री को विदेशों में जाकर हिन्दी में बात करते देखती हूँ तो सीना गर्व से भर जाता है। हिंदी के लिए क्या बताऊँ.. वो तो मां है.. ससुराल चले भी जाओ तो भी और याद आती है और प्यार करती है। 



   आज फेसबुक, व्हाटसप और इंस्टा ग्राम पर कई हिन्दी लेखन समुह है जिनके साथ नियमित जुड़ी हुई हूं और अपनी मातृभाषा में लिखती हूँ पढ़ती हूं। मुझे विदेशी भाषाओं से नफरत नहीं पर जैसे हम चाहे कितना भी घूम ले सुकून तो घर आकर ही मिलता है वैसे ही हिन्दी में एहसास है अपनी भावनाओ को हम अच्छे से समझा सकते हैं। आज मैं उन सभी के लिए एक जवाब हूं जो ये समझते हैं की ज्यादा पढ़ी लिखी है तो अंग्रेजी बोलने में ही इज़्ज़त है। मेरे लिए हिन्दी मेरा अभिमान है, सम्मान है, स्वाभिमान है। हमे दुनिया के किसी भी कोने में रह नें के बाद भी माँ और मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए।


जय हिंदी , जय हिन्दुस्तान 


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