भारत देश मेरा कितनी विविधताओं से भरा है ये बताने की जरूरत तो है नही है।
भारत की भाषाएँ और भारत की महिलाएं दोनों ही विविधताओं से भरी है और अपनी संस्कृति से जड़ों से जुड़ी है। आप किसी भी प्रदेश की महिला से मिलिए आप उनकी संस्कृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे।चाहे कितनी भी आधुनिक हो जाए महिला वो अपनी जड़ों को पोषित कर के रखती हैं। ठीक उसी प्रकार आप भारत के किसी भी क्षेत्र में जाइए अब देसी विदेशी भाषाओं का प्रयोग उनके इतिहास से जुड़ा हुआ पाएंगे।
मैं खुद उत्तर भारत से हूं जब दादी से पूछती हूँ की आप लोग गाँव में रह कर भी देश भर के समसामयिक विषयों पर इतनी अच्छी पकड़ कैसे बनाते हैं? उनका जवाब होता है "हमनी के गाँव में चौपाल होला जहां सब केहू सांझी खान मिल कर बतियावे ला, अब त इन्टरनेट औरो टीवी बा, पहिले त अखबार पढ़ के लोक गीत के माध्यम से सब जानकारी मिलत रहल।" मैं आश्चर्यचकित हो जाती हूँ उनके प्रबंधन को लेकर।
मैं महाराष्ट्र में रहती हूँ जहां लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा से बहुत प्यार करते हैं उसी तरह यहां की महिलाएं अपने पारम्परिक परिधान से प्यार करती है, व्यस्त होते हुए भी त्योहारों पर जरूर पहनती है। कोल्हापुर से एक दोस्त माधवी बताती है "नौवरी साडी हा एक आकर्षक पोशाख आहे जो बहुतेक महाराष्ट्रातील नववधू त्यांच्या लग्नाच्या समारंभासाठी परिधान करतात. हे सामान्यत: पारंपारिक शैलीमध्ये ओढले जाते ज्यामुळे नववधू भव्य आणि सुंदर दिसतात" सच में मराठा शासकों ने महिलाओं को युद्ध में बराबरी के मदद की अपेक्षा की और ये परिधान तैयार हुआ। मैं भी पहनती हूं गणेशोत्सव पर।
मुझे तो मराठी काफी कुछ संस्कृत की तरह लगती है। "देवानां भाषा इति तस्या: ख्याति :" ।संस्कृत में लिखे वेद ग्रंथ सभी ज्ञान का आधार है। भाषाओं की जननी है संस्कृत।
भाषाओं में विविधता की बात हो तो दक्षिणी भारत की बात करते हैं। एक तमिल दोस्त से पूछने पर की तुम्हें अपनी संस्कृति मे कौन सा काल बेहद प्रभावित करता है तो उसने बताया சங்கம் வயது சிறுமிகளுக்கு இலக்கியம், இசை மற்றும் நாடகம் ஆகியவற்றில் நல்ல பயிற்சி அளிக்கப்பட்டது. आप संगम युग को नजरअंदाज कर ही नहीं सकते। महिलाओं के लिए स्वर्णिम युग था शिक्षा के हिसाब से।
बात शिक्षा की हो रही हो तो केरल की महिलाए बाजी मार ले जाती है। अंग्रेजी और क्षेत्रीय दोनों भाषाओं पर गजब की पकड़ होती है इनकी। मलयालम भाषा का उद्भव और विकास एक मलयाली दोस्त से जानते हैं "മലയാളം" എന്ന വാക്കിന്റെ അർത്ഥം മലയുടെ രാജ്യം എന്നാണ്, അതായത് മല എന്നാൽ പർവ്വതം എന്നും ആലം എന്നാൽ സ്ഥലം എന്നും അർത്ഥമുണ്ട്. തമിഴ്, കോട്ട, കൊടഗു, മലയാളം എന്നിവയ്ക്കൊപ്പം ദക്ഷിണ ദ്രാവിഡ ഭാഷകളിലുമാണ് മലയാളം. मलयालम भाषा हो या भोजन अपना प्रभाव पूरे विश्व पर छोड़ चुकी है।
संस्कृतिक विरासत को महिलाओं ने बखूबी सम्भाल रखा है जबकि उनके अपने जीवन में कितने ही उतार चढ़ाव क्यूँ ना हो आप हर त्यौहार मे पूरी तरह लिप्त पाएंगे इन्हें । एक कन्नड दोस्त से जब इस बारे में विचार मांगे तो उन्होंने कहा "ಭಾರತದಲ್ಲಿ, ನಾವು ಪಿತೃಪ್ರಧಾನ ಸಮಾಜವನ್ನು ಯುಗದಿಂದಲೂ ಅನುಸರಿಸುತ್ತಿರುವ ಕಾರಣ ಹೆಚ್ಚಿನ ಮಹಿಳೆಯರು ಪುರುಷರಿಂದ ಪ್ರಾಬಲ್ಯ ಹೊಂದಿದ್ದಾರೆ. ಹೆಣ್ಣಿಗೆ ಅರ್ಹವಾದ ಗೌರವ ಮತ್ತು ಸ್ಥಳವು ಇಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ಇರುವುದಿಲ್ಲ. ಅಂತಹ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಮಹಿಳಾ ಸಬಲೀಕರಣವು ಪ್ರತಿ ಹೆಣ್ಣು ತನ್ನ ಸುತ್ತಲಿನ ಇತರ ಮಹಿಳೆಯರನ್ನು ಬೆಂಬಲಿಸಲು ಮತ್ತು ಐಕ್ಯವಾಗುವುದಾಗಿ ಪ್ರತಿಜ್ಞೆ ಮಾಡಿದರೆ ಮಾತ್ರ ಸಾಧ್ಯ"।हाँ आप इंकार नहीं कर सकते इस सच्चाई से।
हर भाषा में वहाँ की संस्कृति झलकती है और हर संस्कृति में वहाँ की भाषा का सहयोग दिखता है।हैदराबाद में मेरा भाई रहता है और बताता है की यहां आपको क्षेत्रीय भाषा कठिन लग सकती है पर लोग बहुत सरल है। सांस्कृतिक विरासत को सम्भालने की ज़रूरत है भी, उसके तेलुगु दोस्त ने बताया "ఒక దేశం యొక్క సాంస్కృతిక వారసత్వం మరియు సహజ చరిత్ర చాలా ఎక్కువ విలువను కలిగి ఉంది మరియు ప్రత్యేకమైనది. ... సంస్కృతి మరియు దాని వారసత్వం విలువలు, నమ్మకాలు మరియు ఆకాంక్షలను ప్రతిబింబిస్తాయి మరియు ఆకృతి చేస్తాయి, తద్వారా ప్రజల జాతీయ గుర్తింపును నిర్వచిస్తుంది. మన సాంస్కృతిక వారసత్వాన్ని కాపాడుకోవడం చాలా ముఖ్యం, ఎందుకంటే ఇది ప్రజలుగా మన సమగ్రతను ఉంచుతుంది."।सही है देश हो चाहे प्रदेश संस्कृति ही हमारी पहचान होती है जिसे हमें खोना नहीं चाहिए।
कभी गए हैं आप पश्चिम बंगाल दुर्गापूजा मे, नहीं तो आपने जीवन में कुछ अधूरा छोड़ दिया है। महिलाएं सांस्कृतिक विरासत को आधुनिकता के साथ आगे बढ़ा रही हैं, प्रियंका कहती है "আমি একজন গৃহিণী পাশাপাশি একজন আধুনিক মহিলা।
আমি চঞ্চল এবং একই সাথে ধৈর্যশীল।
আমি বাঙালি রূপে একটি কনে এবং বিদেশী রূপে কাঁধে কাঁধে কাঁধে হাঁটা এক মহিলা আমিও।
আমি যদি আমার স্বামীর জন্য সুন্দর হই
আমি সর্বোপরি একটি ছেলের মা
আমি মহিলা" । सच स्त्री चाहे किसी भी भाषा की भाषी हो या किसी भी संस्कृति से हो देश की सभ्यता में पूरा योगदान है।
मेरी गुजराती दोस्त जो हमे गरबा सिखाती है गर्व से कहती है "તે નવરાત્રી હોય અને ગુજરાતની મહિલાઓનો કચરો યાદ આવે? પછી ભલે તે વિદેશી દેશ હોય કે સ્ત્રી, પછી ભલે તે પુરુષ હોય કે નહીં, ગુજરાતી ગરબા અને ગુજરાતી ભોજન ફક્ત આશ્ચર્યજનક છે।" सच्ची नवरात्रि हो और गुजरात की महिलाओं का गरबा ना याद आये हो सकता है क्या?
नृत्य की बात हो रही है तो मेरी एक पंजाबी दोस्त गिद्दा की तरह सम्मी नृत्य के बारे में बताती है" ਸੰਮੀ ਇੱਕ ਰਵਾਇਤੀ ਨਾਚ ਹੈ ਜੋ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਆਦਿਵਾਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਤੋਂ ਉੱਭਰਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦਾ ਡਾਂਸ ਹੈ।ਗਿੱਧਾ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚੱਕਰ ਵਿਚ ਨ੍ਰਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ."
So along with Hindi, English has also become an integral part of India, now consider it a boon, not considering it a curse, due to which the world has become very small and we Indian women have spread their wings to every corner of the world. We will be proud of our cultural heritage by seeing the colors of the Howdi Modi program.
मेरी फ्रेंच टीचर का तो यही कहना है कि "Les femmes sont le miroir de notre civilisation."
मैंने 13 भाषायें संलग्न कर के ये लेख तैयार किया है शब्द सीमा के चलते मैं अनुवाद नहीं डाल रही हू अगर आप चाहें तो अलग पोस्ट में डाल सकती हूं। धन्यवाद सभी मित्रों का जिन्होंने अमूल्य समय दिया।
Mandakini pujari hugar (Tamil, telgu, malayalam, kannada)
Madhavi Gourwar (marathi, sanskrit)
Jhanvi (Punjabi)
Priti shah (gujrati)
Priyanka (Bengali)
Meenal (french)
Left me.
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