अनुज पर अचानक मुसीबतों का पहाड़ टूटा, प्रसव के समय पत्नी की मृत्यु से वो इतना आहत था की फूल सी बच्ची को सीने से लगाने का मौका ना मिला। उस पर ससुराल वालों ने दहेज उत्पीड़न के मामले में पूरे परिवार को दोषी बनाया, उसके मामाजी दारोगा थे। ऐसे समय पर जब डर से सारे नाते रिश्तेदार दूर हो गए थे प्रवीण जो बचपन का दोस्त था भरपूर मदद की चाहे आर्थिक हो या मानसिक। बच्ची को भी अपने साथ रखा जब तक अनुज के ससुराल वालों का गुस्सा शांत ना हुआ। अनुज के धन्यवाद देने पर प्रवीण ने कहा पराया मत बना, तू बचपन का दोस्त है। और अनुज की आँखों में आंसू थे "तेरे जैसा यार कहाँ?"
तेरे जैसा यार कहाँ
दोस्त वही जो काम आए
Originally published in hi
Sushma Tiwari
13 Aug, 2019 | 0 mins read
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