साइबर बुलिंग से बचे और बचाए

साइबर क्राइम के अंतर्गत ही आता है साइबर बुलिंग.. सावधान रहें!

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 25 Feb, 2020 | 0 mins read

"ए लूजर..लूजर"

"सोनू! अभी आपने फ्रेंड को कुछ बैड वर्ड कहा.. चलो सॉरी बोलो" रोशनी ने अपने 12 वर्षीय बेटे से कहा जो की वीडियो गेम खेलने में मस्त था अपने दोस्तों के साथ।

"मॉम! हम फ्रेंड है.. मज़ाक चल रहा है.. जस्ट फॉर फन हम ऐसे ही चिढ़ाते है गेम के टाइम" सोनू ने बात टालते हुए कहा।

" बेटा! फ्रेंड हो या कोई अजनबी "जस्ट फॉर फन" हो या गुस्से में इन्टरनेट को जिम्मेदारी से उपयोग करो। यूं बुरे शब्द बोलना या चिढ़ाना सही नहीं है। आज उसका मूड अच्छा है वो हँसेगा कल उसे बुरा लगेगा.. क्या आप चाहोगे की आपका फ्रेंड आपसे नाराज हो?" रोशनी ने प्यार से समझाया।

"नो मॉम! मैं ऐसा नहीं चाहूँगा.. पर ऐसे तो कोई भी कुछ भी कमेन्ट करता है एक दूसरे को.. तो क्या ये गलत है? "

" हाँ बेटा! ये साइबर बुलिंग कहलाता है.. मतलब जब आप वर्चुअल दुनिया में एक दूसरे को परेशान करते हैं जो कि बहुत ही घातक होता है। ना तो हमे ऐसा कुछ करना चाहिए ना ही किसी और के ऐसे व्यवहार को बढावा देना चाहिए " रोशनी ने बताया।

" सॉरी मॉम! अब से पक्का ऐसा कुछ नहीं करेंगे हम.. प्रॉमिस! "

इन्टरनेट हमारी सुविधा के लिए है और शायद आज के परिवेश में हम बिना इन्टरनेट कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। पर क्या ज़रूरी नहीं मिली हुई शक्ति को जिम्मेदारी से इस्तेमाल करे और कराए। आजकल साइबर बुलिंग का कहर तेजी से फैल रहा है। मासूम बच्चे सबसे पहले इसका शिकार हो रहे हैं। हम गर्व से कहते हैं कि हमारी पांच साल की बिटिया या बेटा इन्टरनेट चलाने में माहिर है पर क्या वो उन शातिर चालों से वाकिफ है जो इन्टरनेट के पर्दे के पीछे छुप कर नन्हें बच्चों पर वार करते है। अमूमन बच्चे समझ नहीं पाते हैं और तनाव ग्रस्त रहने लगते हैं। आजकल देखा गया है कि ये तनाव इतना बढ़ जाता है की छोटे छोटे बच्चे आत्महत्या तक का कदम उठा लेते हैं या जिद, चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग से ग्रसित रहते हैं। इन्टरनेट पर उपलब्ध कई गेम ऐसे है जो उनके अंदर आक्रमक रवैय्या बढ़ा रही है और ये युवा पीढ़ी को बर्बाद करने की एक साजिश जैसे लग रही है।

स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल और फ़ेसबुक, वाटसप, इन्स्टॉ ग्राम पर बच्चों की बढ़ती पहुंच खासकर टीन ऐज बच्चे और महिलाए इन बुलिंग करने वालों का शिकार हो रही है। फोटो और पोस्ट पर अभद्र टिप्पणी, या छेड़छाड़.. कभी कभार बात गाली गलौज तक पहुंच जाती है जो हमे मानसिक रूप से परेशान कर देती है। हम इन्टरनेट ईस्तेमाल करना बंद तो नहीं कर सकते पर चौदह साल के उम्र से नीचे के बच्चों पर खास ध्यान रखना चाहिए जैसे कि सोशल मीडिया अकाउंट ना खोलना एक समझदारी भरा कदम होगा। अगर है भी तो कमेंट्स पर नजर रखिए अलग से, जासूसी नहीं बल्कि प्यार से। बच्चों से प्यार से बैठ कर उदाहरण दे कर समझाये। अपने नन्हें मासूम के दिमाग से किसी अजनबी को ना खेलने दे। उन्हें समझाये की यदि कोई एक बार ऐसे उत्तेजित करने वाली बुरी बात कहे तो उसे इग्नोर करे क्यूँकी वो यही चाहते हैं कि हम चिढ़े और इस सिलसिले को वो आगे बढ़ाए। यदि ये सब ज्यादा हो रहा हो तो पुलिस में इसकी शिकायत जरूर करें। साइबर बुलिंग भी साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है तो गलत की रिपोर्ट जरूर करे ताकि और लोग भी इनसे बच सके।

आइए इन्टरनेट की दुनिया को साफ सुथरा रखने की कोशिश करे इसे अपने लिए और दूसरों के लिए एक स्वस्थ वातावरण बना कर रखे। ना किसी के साथ अभद्र व्यवहार करे और ना ही किसी को करने दे। बच्चों का बचपन आभासी दुनिया में कहीं खो ना जाए ख्याल रखे।

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