सुर्ख़ जोड़े में मैं सजी दुल्हन बन तैयार
मन में एक अफसोस बस एक बार
हो जाती उनसे कुछ बात
जिनके संग गुजारना है अब हर दिन रात
यूँ ही अचानक बढ़ा एक हांथ
और उनने थामा मेरा हांथ
सोचता हूं आज कह दूँ
सुनो मेरा एक ख्याल था
तुम्हारी इज़्ज़त बनने की
तुम्हारे माथे का सिंदूर बनने की
तुम्हारे उंगलियों की अंगूठी बनने की
तुम्हारे हाथों की चूडिय़ां बन
तुम्हारे दिल की धड़कन बनने की
बस एक बार हाँ कर दो
बस एक बार हाँ कर दो
धड़कता दिल हाँ यही तो सोच रहा था
कैसे कहें दिल की बात जो उलझन में था
अब जो ख्याल सुना तो सोचा
सवाल भी कर ही लूँ
हाँ जी मेरा भी एक सवाल था
क्या इज़्ज़त के बदले इज्जत दे पाओगे
सिंदुर बन कर किस्मत पर तो ना बन जाओगे
मैं उँगलियों मे सजा लूँ तुम्हें पर
वादा करो, कभी उंगली तो ना उठाओगे
चूड़ियों के बहाने हाथ बाँध तो ना दोगे
धड़कन बना तो लूँ
पर मेरे सपनों पर काबु कर
उन्हें मिटा तो ना जाओगे
बस इतना वादा कर दो
बस इतना वादा कर दो
फ़िर उनके हांथों ने थामा
मेंहदी भरे मेरे हांथ
जान मेरी शृंगार बोझ बन जाए
ये तुम होने मत देना
हाँ मैं खुद कहता हूं
मेरे इश्क़ मे खुद को खोने मत देना
तुमसे जुड़ कर सपने जोड़ना चाहता हूं
ना की तुम्हें आधा कर तोड़ना चाहता हूं
मंगल समय है सिंदूर नहीं ये वादा है
तुझसे जुड़ना चाहूँ बस यही इरादा है
-©सुषमा तिवारी
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