"अंग्रेज चले गए, लेकिन ये अंग्रेज़ी छोड़ गए.. एक पांच शब्द के "सॉरी" से तो सारे इल्ज़ाम माफ़ हो जाने है "
पायल बड़बड़ाती हुई कपड़े रस्सी पर डाले जा रही थी।
"क्या हुआ माँ? आज बहुत गुस्से में हो? कौन है जिसकी आज शामत आने वाली है?" सोनू पायल का उन्नीस वर्षीय बड़ा बेटा बोला।
" नहीं नहीं.. मैं क्यूँ किसी की शामत लाऊँ? दासी की इतनी औकात कहाँ?"
" क्या माँ.. फिर से मेलोड्रामा.."
" हाँ हाँ मेरी बाते मेलोड्रामा ही लगेंगी.. पच्चीस साल से इस घर की नौटंकी देख ड्रामा भी ना सीख पाई तो क्या किया.. सारी जिम्मेदारियाँ मेरे हिस्से ही है"
सोनू ने छोटी बहन मान्यता की ओर देखा और इशारे इशारे में माँ के गुस्से को समझ समझा दिया।
पायल का मूड सुबह से खराब था। आज उसकी शादी की पच्चीसवी सालगिरह थी। उसे आदत नहीं की वो दूसरी औरतों की तरह कुछ दिन पहले से ही आगे पीछे घूमने लगे। अब इतनी उम्मीद तो वो मिहिर से कर ही सकती थी। सुबह इतने प्यार से उठाया और पसन्दीदा चाय दी तो उन्हें खुद समझ जाना था कि क्या स्पेशल है वर्ना फीकी चाय वो मान्यता से ही भिजवा देती, पर नहीं जनाब चाय गटक कर " अहो भाग्य हमारे" बोल गुसलखाने चले गए।
" क्या कुछ भी याद नहीं आपको? "
"सॉरी देवी! बता ही दो.. मैं अदना सा आदमी काम के बोझ तला भूल जाता हूँ छोटी मोटी बातें "
ओह जब बात छोटी है तो फिर क्या बताना। कितना गुस्सा आया पर क्या शोक और अब क्या शौक? बस इस सॉरी ने दिमाग का सत्यानाश कर रखा था। बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी सब गलतियां कुर्बान इस पर।
चलो मैं शाम का खाना ही बना लू.. बच्चे भी घर पर है, आखिर मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी तो निभा लू।
" पायल ओ पायल! जरा तैयार होकर मुझे रमा के यहां छोड़ देगी? भजन संध्या है " मांजी के बातों से पायल को और गुस्सा आया।
" मांजी आप सोनू को बोलिए या मान्यता को.."
" पूछ चुकी.. दोनों ने मना कर दिया.. कुछ काम है उन्हें.. और तू तो खाली ही बैठी है आखिर, चल छोड़ आ "
पायल मांजी से बहस में नहीं पड़ना चाहती थी तो मांजी के कहने पर तैयार हो गई। मान्यता ने कपड़े निकाल रखे थे बिस्तर पर.. ये थोड़ा उम्मीद से अलग था क्यूँकी वैसे तो मान्यता हिलती नहीं थी कपड़ों के सिलेक्शन के समय।
पायल मांजी को लेकर गाड़ी से रमा के घर के लिए निकल पड़ी जो बीस मिनट दूर था। पंद्रह मिनट बाद पायल का फोन बजने लगा।
कोई जरूरी बात तो नहीं है सोच कर पायल ने गाड़ी साइड लगा कर फोन उठाया।
" माँ कहाँ हो आप?" सोनू की घबराई हुई आवाज आई।
" जल्दी से गोल घर के पास वाले चौराहे पर मिलो " पूरी बात बताये बिना सोनू ने फोन रख दिया।
किसी अनहोनी की आशंका से दिल बाहर आने को तैयार था। क्या हुआ आखिर और दस मिनट में ये गोल घर क्यूँ चला गया। सबके फोन लगाए पर किसी ने नहीं उठाया। मांजी ने कहा कि हमे जा कर देखना चाहिए आखिर क्या मामला है। पायल का मन हवा हुआ जा रहा था। थोड़ी देर में चौराहे पर सोनू दिखा और दूर से ही सड़क के अंदर की गली की ओर इशारा किया आने को। पायल फटा फट वहाँ पहुंची तो देखती है कि वो एक बैंक्वैट हॉल था और बाहर बड़ा सा बोर्ड लगा था
" पायल एंड मिहिर "
"सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन"
पायल को बहुत गुस्सा आया। तभी सारे परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों ने घेर लिया और बधाईयाँ देना शुरू कर दिया। दूर खड़ा मिहिर मुस्कुरा रहा था और कान पकड़ने का इशारा किया। उसके हाथ में एक डब्बा था।
" कुछ बोलोगे " गुस्से में पायल ने पूछा।
" सॉरी! " मिहिर ने हाथ पकड़ कर कहा।
"ये साड़ी और ज्वेलरी तुम्हारे लिए, जाओ
और चेंज कर लो अगर चाहो तो"
"फिर सॉरी?".. " ये अंग्रेज़ों की अंग्रेज़ी ने तो जीना हराम कर रखा है.. पूरे दिन मैंने खून जलाया और आपको सरप्राइज़ देना था " पायल के आँखों से आंसू लुढ़क गए।
" अरे मेरी पल्लू! सॉरी दिया है तो " आई लव यू" भी तो दे गई अंग्रेज़ी.. माफ़ कर दो.. बच्चों का प्लान था, अब बुढ़ा होता मैं उनकी बात कैसे टालता.. और तुम्हें पूछता तो बड़ी सी पार्टी के लिए ना ही बोलती और लग जाती पचास लोगों का खाना बनाने में, बस इसलिए " मिहिर ने प्यार भरी झप्पी दी।
" आई लव यू टू! और सॉरी गुस्सा करने के लिए " पायल ने भी मुस्कुरा दिया।
"देखा आ गई ना अंग्रेजी के लपेट में " कहकर सब हंस पड़े।
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