"सिटी रिसर्च सेंटर" बड़ी सी बिल्डिंग। कहने को तो सरकार के नज़र में नई नई जेनेटिक विज्ञान की तकनीकी परीक्षण का केंद्र था पर असल में चलता था यहां मानवीय जीवन के साथ खिलवाड़ का धन्धा। पैसे वाले भगवान बन चुके हैं जिन्हें जीने का अधिकार है, अमरत्व का अधिकार है। जॉन को लैब के अंदर बुलाया गया। डॉक्टरों की पूरी टीम और विशाल लैब। अब घबराहट होने लगी थी जॉन को।
"सुनिए! मैं पहले सुनिश्चित होना चाहता हूँ की मेरे परिवार को इसका फायदा मिले"
"मिस्टर जॉन! इस समय आपकी चिंता हमारे प्रयोग पर बुरा प्रभाव डाल सकती है,.. खैर ये रहे आपके अकाउंट डिटेल्स.. आप देखिए एक लकी ड्रा का बहाना दे कर आपके खाते में पैसे पहुंच चुके हैं साथ ही सरकारी योजना बता जीवन भर एकमुश्त रकम भी अप्रूव्ड हो चुकी है, आप शांत रहिये और हार्ट बीट कंट्रोल में रखिए "
जॉन डोनर के तौर पर और कमरे में उसके साथ एक उम्रदराज आदमी रिसीवर के तौर पर। डिजाइनर प्रतिरोधी कोशिकाओं का प्रतिरोपण होना था, मतलब जॉन की कोशिकाओं को लेकर खास तौर पर डिजाइन कर रिसीवर के शरीर में प्रतिरोपण करना था जिसके बाद कुछ सालो तक उसकी उम्र बढ़नी बंद हो जाएगी। ये डिजाइनर कोशिकाएं रिसीवर के शरीर में जाकर रोग जनक कोशिकाओं को मार कर उनका स्थान ले लेती है।
एक डोनर से पांच बार कोशिकाएं ली जाती है जिससे धीरे धीरे वो मौत के आगोश में चला जाता है।
टेबल पर लेटते ही कई तारो से जोड़ दिया गया जॉन को। और पास ही के टेबल पर उसका रिसीवर लेटा हुया था।
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