ये 2042 की दुनिया है, जी हाँ और विज्ञान तरक्की की ऊंचाइयों पर है साथ ही साथ मनुष्य की बढ़ती इच्छाओं ने विज्ञान को विनाश का कारण बनने पर मजबूर भी किया है।
जॉन के कमरे में लगी घड़ी का अलार्म बजने से पहले ही जॉन की नींद खुल चुकी थी या ऐसा कह सकते हैं की सारी रात सो ही ना सके। हाथों में लगे डिजिटल पारदर्शी स्क्रीन पर नज़र डाली जो अब मोबाइल की जगह ले चुका था। स्क्रीन पर संदेश पॉप हुआ
"बधाई हो! आपकी एप्लिकेशन अप्रूव्ड हो गई है। बिना किसी को बताए 10.00 बजे सिटी रिसर्च सेंटर पर मिले"
जॉन अपने उम्र के 55 वें साल में प्रवेश कर रहा था। पर विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास की वजह से दस साल से बेरोजगार है, अब उसे भी लगता है की उसमे कोई खास बात नहीं रही सिवाय इसके कि वो मेडिकली फिट है हर तरह से इस प्रयोग के लिए। अब जेनेटिक इंजीनियरिंग तरक्की कर चुकी थी और वैज्ञानिक यह पता लगा चुके हैं कि मानव उम्र बढ़ने को कैसे रोका जाए ताकि जीवन को अनिश्चित काल तक बढ़ाया जाए। लेकिन हर बार जब कोई व्यक्ति इस लकी ड्रॉ मे इस योग्य निकलता है जो आर्थिक रूप से इस प्रोजेक्ट में वित्तीय सहयोग भी कर सके तो किसी और को कुर्बानी देकर उसे अपनी उम्र देनी पड़ती है, वहीं संतुलन बनाए रखने के लिए आबादी को रोककर रखना पड़ता है। हां , यह सब बहुत अमानवीय है पर कुर्बानी देने वालों के वंशजों को एक बड़ी तनख्वाह मिलती है। जॉन के अथक प्रयासों के बाद आज वो खुशनसीब है जो वह चुना गया है कुर्बानी देने के लिए। उसके बच्चे जो जुझ रहे हैं अपनी जिंदगी में, और वो कुछ ना कर पाया उनके लिए, आज उनका पूरा भविष्य सुनिश्चित कर देगा।
घड़ी में नौ बज चुके हैं और जॉन तैयार होकर निकल रहा था तभी बेटे कृष ने पूछा "पापा! आप सुबह सुबह कहाँ जा रहे हैं?"
"बस आता हूं, तुम ख्याल रखो अपना और अपनी बहन रूबी का"
कह कर जॉन झटपट निकल गया शायद उसमे इतनी हिम्मत ना थी कि वो उनके मासूम चेहरे देख सके आखिरी बार और कमजोर पड़ जाए।
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