धार्मिक मान्यता के अनुसार रक्तबीज एक ऐसा दानव था जिसे यह वरदान था की जब जब उसके लहू की बूंद इस धरती पर गिरेगी तब तब हर बूंद से एक नया रक्तबीज जन्म ले लेगा जो बल , शरीर और रूप से मुख्य रक्तबीज के समान ही होगा। अत: जब भी इस दानव को अस्त्रों ,शस्त्रों से मारने की कोशिश की जाती , उसके लहू की बूंदों से अनेको रक्तबीज पुनः जीवित हो जाते।तब देवी चण्डिका ने काली माँ को अपने क्रोध से अवतरित किया | माँ काली विकराल क्रोध वाली और उनका रूप ऐसा था की काल भी उन्हें देख कर डर जाये |
देवी ने से कहा की तुम इस असुर की हर बूंद का पान कर जाओ जिससे की कोई अन्य रक्तबीज उत्पन्न ना हो सके | ऐसा सुनकर माँ काली ने रक्तबीज की गर्दन काटकर उसे खप्पर मे रख लिया ताकि रक्त की बूँद नीचे ना गिरे और उसका सारा खून पी गयी , बिना एक बूँद नीचे गिरे | जो भी दानव रक्त से उनकी जिह्वा पर उत्पन्न होते गए उनको खाती गई | इस तरह अंत हुआ रक्तबीज और उसके खून का |
आज कोरोना वही रक्तबीज राक्षस स्वरुप है, जितने लोग आपस में मिलेंगे संक्रमण कई गुना बढ़ते जाएगा। देवी का आप सब से आह्वान है कि एक दूसरे से दूर रहकर इस रक्तबीज को बढ़ने से रोके।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.