कच्ची उमर और सिर्फ पढ़ाई की सनक, स्कूल और कॉलेज के शुरुआती दिन किताबों में डूब कर गुजार दी। प्यार इश्क और मोहब्बत सब कुछ मेरी किताबें। छोटे शहर में रहते थे तो ये वेलेंटाइन डे हो या फ्रेंडशिप डे सब एक सरीखे लगते थे। रूमानी प्यार भी दस्तक देता अगर हम अपने दिल के दरवाजे को उस कदर अरेंज किए होते ख़ैर वहाँ दो चीज़े थी पढ़ाई की सनक और पापा के अनुशासन का खौफ! तो हम तो भई रह गए कच्चे खिलाड़ी। कहते है सगाई और शादी के बीच का समय काफी रूमानी होता है। हमारे केस में जरा अपवाद रहा क्यूँकी उन्होंने अपनी तरफ से तो कोशिश की पर हमारे अंदर का पढ़ने का कीड़ा वहाँ भी कुलबुलाते रहा। हुआ ऐसा था कि कॉलेज के बीच में ही शुभचिंतक रिश्तेदारों के सहयोग से रिश्ता हो गया पक्का। शादी कर के आई तो जीवनसाथी के रूप में एक सच्चे दोस्त मिले जिन्होंने मेरी हर बात का सम्मान रखा और अपनी पढ़ाई पूरी कर लूं उसका ख्याल रखा। प्रेम शायद वही होता है समर्पण.. सामने वाले की इच्छाओं और सपनों को खुद जीना। जब शादी के बाद पहली वेलेंटाइन आने वाली थी तो वॊ बड़े उत्साहित थे और हम भी.. पर हम भी खुश थे मायके जाना था परीक्षा देने के लिए। उन्होंने कोशिश की हम शायद थोड़े दिन और रुक जाए पर हमे वहाँ जाकर नोट्स भी तैयार करने थे। भारी मन से उन्होंने हमे हमारे पापा के साथ स्टेशन छोड़ा और आगे का सफर हम हमारे पापा के साथ ट्रेन में तय करने वाली थी। बस उसी समय हुआ हमे हमारे जीवन में पहली बार प्रेम का अनुभव जब विरह अपने पंख फैला चुका था। वो कहते हैं ना कि दूर जाने पर कितने पास है ये अनुभूति होती है। बस वही कुछ कुछ अजीब सा एहसास था वो! कुछ समझ आता कुछ बोल पाते उससे पहले ही हम जुदा हो गए पर सच्चे प्रेम की अनुभूति लिए और वापस आने की बेचैनी लिए हुए। सच प्रेम आत्मा है और हम बस शरीर.. उसके बिना तो निष्प्राण ही रहते हैं और जब वो जीवन में आता है तो जिन्दगी के मायने ही बदल जाते हैं। एक दूजे के साथ जीना और एक दूजे के लिए जीना।
प्यार हुआ एहसास हुआ
दूरियां जब बढ़ती है तो पास होने का एहसास होता है
Originally published in hi
Sushma Tiwari
16 Feb, 2020 | 0 mins read
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