प्रिय दादी!
सादर प्रणाम और ढेर सारा प्यार आपकी डॉली के तरफ से!
दादी मैंने कभी सोचा नहीं था कि आपको पत्र लिखूँगी। आज इस महामारी कोरोना काल ने देखो ना कैसे सब को सब कुछ याद दिला दिया है। हम तो इस भागदौड़ वाली जिंदगी में सब कुछ पीछे छोड़ भागे जा रहे थे। मैं बचपन से हमेशा ही आपकी लाडली रही थी। जब सारे भाई बहन नानी घर जाते तो मैं आपको चुनती थी। दादी! आज वो सारी बातें याद आ रही है। आपने हमेशा कहा आती क्यों नहीं गाँव कुछ दिनों के लिए जाने कितने दिन की जिंदगी बची है और मैं हमेशा से ही हँस कर कहती की कुछ नहीं होगा आपको, समय मिलेगा तो आऊंगी। समय! यही वो कारण है जो हम हमेशा से अपनों से दूर होने के लिए देते आए है। जब बुजुर्गों के लिए खास चेतावनी सुनती हूं तो सच दादी! कलेजा मुँह को आ जाता है कि कहीं आपको देखे बिना खो ना दूं दादू की तरह। हम इस भागदौड़ में भूल गए थे बुजुर्ग तो वृक्ष की छांव की तरह होते है जिनके आशीष से हम हर मुश्किल से बचे रहते हैं।
दादी अब तो बस यही इच्छा है कि जल्द ही या लॉक डाउन खुले और सुरक्षित यातायात सुनिश्चित होने के बाद हम जरूर मिलेंगे। तब तक अपना ख्याल रखना दादी। वादा रहा अब छुट्टियों में जरूर मिला करेंगे, मुझे अपना बचपन एक बार फिर जीना है आपके साथ।
आपको मिलने के इंतज़ार में आपकी
-डॉली
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