तुकांत और अतुकांत कविताएं

#IchallengeYou - 10 Subject - Poetry /कविता तुकांत कविता और अतुकांत कविता में अन्तर जाने

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 20 May, 2020 | 1 min read

"तुकांत कविता"

तुकांत कविता वो होती है जो तुक यानी rhymes के आधार पर लिखी गई होती है। जिसके अंत में तुकांत और समतुकांत शब्दों का प्रयोग हुआ होता है।ये शब्द जो कविता की हर पंक्ति के अंत में लिखें जाते हैं और उनकी विशेषता ये होती है कि हर पंक्ति में वो एक समान लय के होते हैं। एक शब्द के समान तुकांत को समतुकांत कहा जाता है। जैसे- आना शब्द के तुकांत होंगे- जाना ,खाना ,लाना आदि।

तुकांत कविताए सुनने में भी कर्णप्रिय होती है।

आप समझ गए होंगे कि तुकांत शब्द कौनसे होते हैं। ऐसे ही शब्दों के माध्यम से लिखी गई कविता तुकांत कविता कहलाती है। तुकांत कविता में केवल हमें तुकांत शब्दों का ही ध्यान नहीं रखना होता बल्कि हमें भावनाओं और छंद का भी ध्यान रखना होता है।

जैसे प्रस्तुत कविता मे मैने कम शब्दों का चयन कर तुकांत कविता लिखने का प्रयत्न किया है -

अपने बच्चों की थी माँ वह

कहानी छोटी सी संक्षिप्त

बेटे राम लखन से सुंदर सौष्ठव

बेटी थोड़ी विक्षिप्त

पाल पोस के बड़ा किया

लुटाया समान प्यार दुलार

पति साथ जब छोड़ दिया

उम्र की पड़ी जब मार

मां से प्रेम उन्हें था पर

मानसिक विक्षिप्त बहन से इंकार

भेजो पागलखाने जाए मर

मां को ना था स्वीकार

मैं मां हूं करूँगी भरण पोषण

जब तक जीवित रहूंगी

अपनी बुढ़ी हड्डियों से रक्षण

ममत्व पालन करूँगी

वो सब्जियां बेचती,

पापड़ बनाती

घर बैठी बेटी की सोचती

आकर भोजन बनाती

नियति को यही स्वीकार अगर

तो वो भी सम्मान ना त्यागेंगी

फटे हाल जी लेगी पर

ममता के कर्तव्य से ना भागेगी

©सुषमा तिवारी

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"अतुकांत कविता"

तुकांत कविता से बिल्कुल विपरित होती है अतुकांत कविता। तुकांत कविता को हम तुकांत शब्दों के प्रयोग के द्वारा लिखते हैं, जबकि अतुकांत कविता में तुकांत का अभाव होता है। जिस कविता में एक भी तुकांत शब्द ना हो, उसे ही हम अतुकांत कविता कहते हैं।जब नए रचनाकार कविता लिखने की शुरुआत करते हो तो उन्हें अतुकांत कविता से ही शुरुआत करनी चाहिए। अतुकांत कविता की विशेषता यही होती है कि इसमें सिर्फ भावनाओं को महत्व दिया जाता है। इस कविता में कोई नियम की पाबंदी नहीं होती। लेकिन लिखने का तरीका महत्व रखता है। पूरी कविता को ऐसे लिखिए की अंत तक जाते जाते भाव और विषय स्पष्ट हो रहा हो। अतुकांत कविता छंदमुक्त कविता के अंतर्गत आती है। अतुकांत कविता हमेशा सरल शब्दों में लिखी जाती है, जिसमें रचनाकार सीधी सरल भाषा में अपने भाव रखता है। इस कविता को पढ़ते-पढ़ते पाठक जब अंत में आते हैं, तो अंत का हिस्सा पढ़के उन्हें इस कविता के पूर्ण होने का अहसास हो जाता है। यही अतुकांत कविता की बहुत बड़ी विशेषता होती है।

अतुकांत कविता लिखने के लिए आपको बस एक भाव दिमाग में रखना है। उदाहरण के लिए मेरे दिमाग में आया अभी करोना काल में बिखरा सन्नाटा उसी पर लिखी थी अतुकांत कविता। इस भाव को आप देखिए किस प्रकार एक अतुकांत कविता का रूप दिया गया है-

देखा है कुछ दिनों से

सब कुछ खाली सा

सड़कों

बाजारों को

गलियां और

त्योहार भी सूने

इंसानों से, हाँ इंसानों से

खाली होते

उस खालीपन को भरती हुई

शून्य सी मेरी अपेक्षायें

बिंदु के समान जाकर

टिक जाती है वहीं

उस खालीपन में

जहां कहीं उम्मीद थी

चिडियों के घोंसलों में

कीट पतंगों के हौसलों में

निश्चिंत होकर घूमते

धरती गगन को नाप कर

मूक प्रकृति में

हंसती सी धरती में

कुछ तो गडबड है

सब कुछ खाली होकर भी

कहीं सब कुछ भरा ही है

हाँ थोड़ा विस्मित

हाँ थोड़ा विचलित है

मेरा मन आखिर

क्या कहें

अजीब खालीपन है!

©सुषमा तिवारी

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Sushma Tiwari

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