यहाँ मैं आपको हिन्दी काव्य में उपयोग आने वाले मात्रा भार और उसकी गणना का विवरण दे रही हूं। निश्चय ही इस पर मेरा कॉपीराइट नहीं होगा क्यूँकी ये गणित की सूत्र की तरह है, इसे जानना जरूरी है कविता लिखने से पहले और मै स्वयं इसके मूल स्वरुप में कोई बदलाव का अधिकार नहीं रखती हूं।
मात्राभार गणना ( विस्तृत )
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मात्रा आधारित छंदमय रचनायें लिखने के लिए मात्रा या मात्राभार की गणना का ज्ञान होना अति आवश्यक है ,,,,आओ इस ज्ञान- विज्ञान को जाने —
नोट —-१ मात्रा या मात्राभार को = लघु ,,,,(इसके उच्चारण में / बोलने में ,कम /अल्प समय लगता है)
२ मात्रा या मात्राभार को = गुरु कहते हैं ,, ,(इसके उच्चारण में / बोलने में ,अपेक्षाकृत ज्यादा/अधिक समय लगता है)
(१)* हिंदी में ह्रस्व स्वरों (अ, इ, उ, ऋ) की मात्रा १ होती है जिसे हम लघु कहते हैं
(२)* हिंदी में दीर्घ स्वरों (आ, ई, ऊ, ए,ऐ,ओ,औ,अं, ) का मात्राभार २ होता है ,, जिसे हम गुरु कहते हैं.
(३)* हिंदी में प्रत्येक व्यंजन की मात्रा १ होती है,,,, जो नीचे दर्शाये गए हैं — –
* क,ख,ग,घ , * च,छ,ज,झ,ञ ,
* ट,ठ,ड,ढ,ण , * त,थ,द,ध,न ,
* प,फ,ब,भ,म , *य,र,ल,व,श,ष,स,ह
जैसे—- अब=११, कल=११,, करतल =११११ ,,पवन १११ ,,मन =११ ,,चमचम=११११ ,,जल =११,,हलचल ११११,,दर =११,,कसक=१११,,दमकल =११११ ,,छनक =१११ ,दमक =१११ ,उलझन =११११ ,, बड़बड़ =११११,, गमन=१११ , नरक=१११ ,, सड़क=१११
(४)* किसी भी व्यंजन में इ , उ ,ऋ की मात्रा लगाने पर उसका मात्राभार नहीं बदलता अर्थात १ (लघु) ही रहता है-
दिन =१ १,निशि=११,,जिस=११, मिल=११, किस =११ , हिल =१११, लिलि =११,नहि =११,,महि =११ कुल=११, खुल=११, मुकुल =१११, मधु =११, मधुरिम =११११ , कृत =११, तृण =११, मृग=११,, पितृ=११,, अमृत=१११,, टुनटुन= ११११ ,, कुमकुम =११११ , तुनक =१११, चुनर =१११ ,ऋषि =११ ,, ऋतु =११,, ऋतिक =१११
(५)* किसी भी व्यंजन में दीर्घ स्वर (आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ ,अं,) की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार (दीर्ध=गुरु ) अर्थात २ हो जाता है.–
हारा=२२ ,,पारा=२२,, करारा =१२२,,चौपाया =२२२ ,,गोला =२२,,शोला=२२,,पाया =२२,,, जाय २१,,, माता =२२,,, पिता=१२,,, सीता= २२,, गई (गयी )=१२,, पीला =२२,,गए (गये )=१२, लाए (लाये) =२२, खाओ =२२, ओम =२१, और =२१,, ओकात =औकात =२२१,, अंकित २११, संचय =२११,पंपा ==२२,,मूली=२२,,शूली =२२,, पंप (पम्प ) =२१, अंग =२१ ,,ढंग =२१,, संचित =२११,, रंग=२१ ,, अंक=२१ , रंगीन =२२१, कंचन=२११ ,घंटा=२२ , पतंगा=१२२, दंभ (दम्भ )=२१, पंच (पञ्च )=२१, खंड (खण्ड )=२१,सिंह =२ १ ,,,सिंधु =२ १ ,,,बिंदु =२ १ ,,,, पुंज =२ १ ,,, हिंडोला =२ २ २,,कंकड़ =२११,,टंकण =२११ ,,सिंघाड़ा =२२२ ,लिंकन =२११ ,,लंका २२ ,
(६)* गुरु वर्ण (दीर्घ) पर अनुस्वार लगने से उसके मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,
जैसे – नहीं=१२ ,सीँच =२१, भींच=२१ , हैं =२,छींक=२१ ,दें =२, हीँग =२१, हमेँ =१२ , सांप =२१
(८ )*शब्द के प्रारम्भ में संयुक्ताक्षर का मात्राभार १ (लघु) होता है , जैसे – स्वर=११ , ज्वर =११,प्रभा=१२
श्रम=११ , च्यवन=१११, प्लेट= २१, भ्रम =११, क्रम ११, श्वसन =१११, न्याय =२१,
(९ )* संयुक्ताक्षर में ह्रस्व (इ ,उ ,ऋ ) की मात्रा लगने से उसका मात्राभार १ (लघु) ही रहता है ,
जैसे – प्रिया=१२ , क्रिया=१२ , द्रुम=११ ,च्युत=११, श्रुति=११, क्लिक =१ १, क्षितिज =१११, त्रिया =१२ ,
(१० )* संयुक्ताक्षर में दीर्घ मात्रा लगने से उसका मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,(अर्थात कोई शब्द यदि अर्द्ध वर्ण से शुरू होता है तो अर्द्ध वर्ण का मात्राभार ० (नगण्य ) हो जाता है )–
जैसे – भ्राता=२२ , ज्ञान (ग्यान )=२१, श्याम=२१ , स्नेह=२१ ,स्त्री=२ , स्थान=२१ ,श्री=२,
(११ )* संयुक्ताक्षर से पहले वाले लघु वर्ण का मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,(अर्थात किसी शब्द के बीच में अर्द्ध वर्ण आने पर वह पूर्ववर्ती / पहलेवाले वर्ण के मात्राभार को दीर्घ/गुरु कर देता है )—
जैसे – अक्कड =२११,,बक्कड़=२११,,नम्र =(न म् र) =२१ , विद्या (वि द् या )=२२, चक्षु (चक्शु ) =२१,सत्य=२१ , वृक्ष (वृक्श) =२१,यत्र (यत् र )=२१, विख्यात=२२१,पर्ण=(प र् ण ) २१, गर्भ=(गर् भ) २१, कर्म =क (क र् म) २१, मल्ल =२१, दर्पण =२११, अर्चना २१२,, विनम्र (वि न म् र) =१२१,,अध्यक्ष (अध्यक्श)=२२१
(१२ )* संयुक्ताक्षर के पहले वाले गुरु / वर्ण के मात्राभार में कोई अन्तर नहीं आता है–
जैसे -प्राप्तांक =२२१ ,,प्राप्त =२१, हास्य=२१ , वाष्प =२१ ,आत्मा=२२ , सौम्या=२२ , शाश्वत=२११ , भास्कर=२११.भास्कराचार्य ,,२१२२१ ,,उपाध्यक्ष (उपाध्यक्श)=१२२१
(१३ )* अर्द्ध वर्ण के बाद का अक्षर ‘ह’ गुरु (दीर्घ मात्रा धारक) होता है तो ,,,अर्द्ध वर्ण भारहीन हो जाता है जैसे —
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तुम्हें=१२ , तुम्हारा=१२२, तुम्हारी=१२२, तुम्हारे=१२२, जिन्हें=१२, जिन्होंने=१२२, किन्होनें=१२२,,उन्होंने =१२२,,कुम्हार=१२१,, कन्हैया=१२२ ,, मल्हार=१२१ ,,कुल्हा =१२,,कुल्हाड़ी=१२२ ,तन्हा =१२ ,सुन्हेरा =१२२, दुल्हा ==१२,,अल्हेला =१२२ ,
(1४ )* किन्तु अर्द्ध वर्ण के बाद का अक्षर ‘ह’ लघु होने पर मात्राभार वही रहता है जैसे —-
अल्हड़ =२११,,कुल्हड़=२११ ,,चुल्हड़ =२११ ,,दुल्हन =दुल्हिन २११,, कुल्हिया =२१२ , कल्ह २१,,तिन्ह =२१
संकलनकर्ता– suresh jasala जी
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very nice descriptive and perfect.
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