कृतार्थ

आज पुरानी डायरी बच्चों और सूरज के हाथ लगी है और मुझे अब जाना ही होगा

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 01 Mar, 2020 | 0 mins read

सारिका सुबह से ही उदास थी । किसी काम में मन नहीं लग रहा था। कभी सोचा ही नहीं कि ऐसा कुछ होगा.. बीस साल पुरानी बात आज उपर निकल कर आई थी। कितना शौक था उसे लिखने का.. डायरी में सब कुछ दर्ज करना उसका पसंदीदा काम था। अपनी हरेक इच्छा, अपनी ख्वाहिश, अपने सपने सब कुछ उसी में छाप देती थी। आज वही डायरी सारिका को सुबह से परेशान किए हुए थी। जाने किस मुहूर्त में उसने पुराना बक्सा बाहर किया और डायरी सूरज के हाथों में लग गई। दोनों बेटे भी अब उसकी सुनने को राजी नहीं थे और पापा का साथ दे रहे थे।

कैसे करेगी अब? बच्चों और पति को आदत लग चुकी है अपने हरेक काम के लिए। कैसे करेंगे वो मेरे बिना मैनेज.. ये वो लोग समझ ही नहीं पा रहें। मैं कैसे दूर जाऊँ इन लोगों से, अपने पौधों से, अपनी तुलसी से,.. इन्हें कुछ नहीं पता रोज के काम सबका हिसाब.. कैसे करेंगे?

"सारिका सामान नहीं बाँधा तुमने?" सूरज के कमरे में आने से सारिका अपनी चिंता की गलियों से बाहर आई।

"सूरज तुम समझ नहीं रहे.. नहीं रह पाएंगे हम एक दूसरे के बिन"

"रह लेंगे.. मैं कह रहा हूं ना.. तुम सामान बांधो बस"

"सूरज खाने का क्या होगा? तुम्हें कुछ नहीं आता"

"माँ मैं बना लूँगा.. आप इतना मत सोचो" बड़े बेटे अनीश ने कहा।

"क्या फितूर है सूरज तुम लोगों का भला? हां मैंने बनाई थी बकेट लिस्ट और उसमे मेरे सपने.. पर उम्र के साथ प्राथमिकताएं बदल जाती है "

" सारिका! उम्र के साथ सपने मरा नहीं करते.. जिम्मेदारियों के बीच तुमने खुद को झोंक दिया और अब मौका है हम खुद को सम्भाल सकते हैं तुम अपना सोलो वर्ल्ड टूर का सपना पूरा करो "

" सब चलते हैं ना.. "

" नहीं बिलकुल नहीं.. सब फिर कभी चलेंगे.. "

कुछ दिनों पहले ही उसकी सबसे प्यारी सहेली का अचानक देहांत हो गया था तब से सारिका उदास थी। तभी ये डायरी और पुरानी चीजे बाहर निकाली थी कि जिंदगी जाने कितने दिनों की बची हुई है और बकेट लिस्ट वाली बात सबके सामने आ गई थी। बच्चों और सूरज की जिद के आगे उसकी एक ना चली और बैग लिए वो निकलने लगी। कलेजे में हूक उठ रही थी पर बच्चों ने प्रॉमिस लिया है कि आप पीछे मुड़ कर नहीं देखोगे। जिंदगी जाने से पहले जिंदगी अपने हिसाब जीने के लिए उसके अपनों के तरफ से इस उपहार के लिए वो उनकी कृतार्थ थी।

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