कितना प्यारा है ये प्यार - 3 (final)

रवि और रूचि के प्रेम कहानी का क्या हश्र हुआ आइये जाने

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 25 May, 2020 | 0 mins read

रवि ने हिम्मत करके अपने घर पर साफ साफ कह दिया शादी वो रुचि से ही करेगा। पहले तो घर में तूफान आ गया फिर बेटे की जिद में सब झुक गए। रवि के पापा ने रुचि के पापा से शर्माते हुए ही बात की। शुरुआत के नाराजगी के बाद रुचि के पापा ने हाँ कर दी क्यूँकी वो भी बीमारी से थक चुके थे और वो चाहते थे आँखों के सामने रुचि को विदा कर दे। रुचि की पसंद का अंदाजा उन्हें था जब वो एक के बाद एक रिश्ते ठुकरा रही थी पर डरते थे कि जोर जबरदस्ती में बच्चे गलत कदम ना उठा ले।

रुचि और रवि की शादी काफी सादगी से हुई जैसा कि रुचि के पापा चाहते थे।

" रुचि ! मैं तुम्हारी बहुत धूमधाम वाली शादी करना चाहता था पर जैसा कि तुम्हें भी पता है कि ये सामाजिक रीति रिवाजों के खिलाफ हो रही है तो मैं ज्यादा हो हल्ला नहीं चाहता हूं.. हाँ ये जरूर चाहता हूं कि तुम हमेशा खुश रहो। और वैसे भी रवि की नौकरी बहुत छोटी है तो तुम्हें भी सादगी की आदत रखनी होगी। अपना प्रेम जिम्मेदारी पूर्वक निभाना बेटा क्यूँकी शायद अब मैं ज्यादा दिन ना रहूं तुम्हारे नखरे उठाने को " विदाई में पापा कह कर रो पड़े।

" पापा! मैं रुचि के सारे नखरे उठाऊंगा, वादा रहा कभी शिकायत का मौका हम नहीं देंगे। आप अपना ध्यान रखे और हमेशा आशीर्वाद बनाए रखे " रवि की बात से पापा संतुष्ट दिखे।

प्राची ने रुचि को विदाई की गाड़ी में बिठाकर रवि की चुटकी ली

" रवि जी! हमारी रुचि को खुश रखियेगा। जितनी देर आप अपने इजहार ए मोहब्बत में लगा रहे थे मुझे लगा रुचि को पानी पूरी वाले के साथ भागना पड़ेगा। अब आप दोनों अपना प्रेम बनाए रखे"

"हाँ जी साली साहिबा! जरूर, रुचि की हिम्मत और सहनशीलता का मैं कर्जदार हूं। अब अपने प्यार से इसके सारे शिकायत दूर कर दूंगा "

रवि और रूचि की गाड़ी जाते हुए सब प्रेम से देख रहे थे । काश सब को ऐसे ही उनका प्यार मिल जाए।

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