कितना प्यारा है ये प्यार - 1

1999 के ज़माने की प्यार भरी कहानी

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 1712
Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 25 May, 2020 | 1 min read

वो दौर ही कुछ और था। फिजाओं में प्रेम खुशबु की तरह यूँ फैलता था कि बिन बताये चेहरे की चमक देख दोस्त जान जाए कि ये प्यार में है। सच 1999 की बात ही और थी। रुचि यौवन की दहलीज पर खड़ी अपनी प्रिय सखी प्राची का इन्तेज़ार कॉलेज के गेट पर बेताबी से करती। प्राची जो उसकी हर राज की राज़दार थी से हर सुख दुख की साथी।

प्राची के आते ही रुचि लिपट गई।

" कहाँ थी तू यार? कब से तेरी राह देख रही थी"

" हाँ हाँ मैंने तो कॉलेज जॉइन ही तेरे खातिर किया है, एक काम करते हैं हिस्ट्री की क्लास के बाद बात करेंगे लेट हो रहे हैं" प्राची ने रुचि को खिंचते हुए कहा।

" अरे सुन तो पहले! सारी एक्साइटमेंट का कचरा कर दिया तूने, मेरी बात ज्यादा जरूरी है.. तेरे घर फोन होता तो अब तक मैं कह चुकी होती समझी, अब सुन पहले " रुचि ने प्राची गले लगाते हुए कहा।

" अच्छा बताओ "

" मुझे ना प्यार हो गया है" रुचि ने शर्माते हुए कहा।

"वो तो हर महीने होता है.. नया क्या है बता? "

" चुड़ैल! मैं क्रश की बात नहीं कर रही हूं.. सच्चा वाला प्यार हुआ है! "

" हम्म! कैसे पता? "

" उसकी आवाज़ सुनते ही कानो में शहनाई बजती है, और उससे दूर होने का एहसास दिल बैठा देता है " रुचि आसमान में देख बता रही थी।

" तेरा पानी पूरी वाला? "

" जा, नहीं बताना तूझे! "

रुचि को नाराज होते देख प्राची ने धैर्य से सुनने का वादा किया तो रुचि ने रवि के बारे में बताया। रवि उसके नई वाली भाभी का छोटा भाई जो इंजीनियरिंग का स्टूडेंट था। भाभी के संग शादी के बाद बिदाई में आया था तभी से अलग सा आकर्षित करता था। मज़ाक के रिश्ते का मस्ती मज़ाक कब प्रेम निवेदन में बदल गया कुछ पता ना चला। रवि अब छुट्टियों में दीदी के घर ज्यादा आने लगा था। रुचि के पापा जो थोड़े कड़क मिजाज थे उन को रवि का यूँ बार बार आना कुछ खास अच्छा ना लगता था। पर रवि ने ना ही रुचि से और ना ही रुचि ने रवि से कभी अपनी भावनाओ का इजहार किया वो तो बस एक दूसरे को नजरो से दिल में कैद कर खुश हो जाते थे। रुचि की भाभी को धीरे धीरे ये बात महसूस होने लगी थी। उन्होंने रुचि को प्यार से बुलाकर पूछा तो रुचि ने अपने दिल की बात भाभी को बताया साथ में ये वादा लिया कि वो अभी इस बारे में किसी से कुछ ना कहे रवि से भी नहीं। आज रुचि ने प्राची से ये सब दिल खोल कर बताया।

" कब से चल रहा है और तू आज बता रही है? और ये क्या रवि को बताया नहीं और मुझे बता रही है" प्राची ने शिकायत भरे लहजे में कहा।

" नहीं ऐसा नहीं, मैं अपनी ही भावनाओ को लेकर संशय में थी। पर जब भाभी ने कल पूछा तो जैसे अलग सी हिम्मत आ गई। तूझे बता रही हूं पहले की सलाह ले सकूँ की कैसे बात करू "

रुचि ने राहत की साँस ली।

" देख पहले तू उनसे साफ बात कर ले ऐसा ना हो वो सिर्फ दोस्ती सोचे और तू आगे ही बढ़ जाए, पारिवारिक रिश्तों में भी खटास आ जाएगी "

To be continued...

0 likes

Support Sushma Tiwari

Please login to support the author.

Published By

Sushma Tiwari

SushmaTiwari

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.