अनुपमा: सुनिए मैं ने जॉब के लिए आवेदन दिया है।
रवि : अब ये क्या नया नाटक?
अनुपमा : कोई नाटक नहीं, बस आर्थिक स्वतंत्रता की बात है।
रवि : मज़ाक कर रही हो प्रिय!! पूरी जायदाद तुम्हारे नाम है.. हर बात की आजादी है.. जॉब का क्या करोगी? अच्छा चलो एक कारण बता दो तुम्हारी इस बकवास को मैं भी समर्थन दूं।
अनुपमा : पहला कारण यही है कि आप इस मुद्दे को बकवास समझ रहे हैं, और बाकी मैं बताती हूं ।
आर्थिक स्वतंत्रता आत्मनिर्भरता लाती है। बहुत बार अपने व्यक्तिगत जीवन में मुझे यह एहसास हुआ कि यह एक 'पुरुष की दुनिया' है। आर्थिक स्वतंत्रता एक महिला को खुद पर भरोसा करने और उसके निर्णयों का समर्थन करने में मदद करती है।मुझे आत्मविश्वास मिलेगा की मैं अपने जीवन का प्रभार ले सकती हूं, जब मैं खुद की बुनियादी आवश्यकताओं का प्रबंधन करने के लिए सशक्त और आत्मनिर्भर हूं। आर्थिक रूप से स्वतंत्र मैं अपने माता-पिता का समर्थन कर सकती हूं। भले ही आप उनका समर्थन करे, लेकिन माता-पिता इसे स्वीकार करना पसंद नहीं करेंगे। लेकिन अगर बेटी आर्थिक रूप से स्वतंत्र है, तो वे मदद ले सकते हैं।एक आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिला अपने परिवार के लिए एक बैकअप के रूप में कार्य करती है, परिवार की जिम्मेदारियों से बेफिक्र हो आप भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ सकते हैं..
रवि : बस! मैं समझ गया.. और शर्मिंदा ना करो। मैं साथ हूँ तुम्हें जो अच्छा लगे वो करो.. बस सुबह की चाय हमेशा की तरह साथ पियेंगे, पक्का?
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