अंधी उम्मीद

देख तो लो आखिर कहां जा रहे हैं

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 31 Dec, 2019 | 1 min read

हम सब कुछ आँखों से देखे जा रहे हैं

हाँ, सभी को बंद आँखों से देखे जा रहे हैं

हमें टूटे हुए सपनों का एहसास ही नहीं

जो अब भी रात की राह देखे जा रहे हैं

हम बहरे होकर सुनते जा रहे हैं

छोड़ो कौन परवाह करे

दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ें जा रहे हैं

"मैं" और "सिर्फ मैं" ’जैसे शब्द इस्तेमाल करते

हाँ, हम बात नहीं करते हैं,

हम बकवास करते जा रहे हैं

कहकर की इंसान जानवर बन गए हैं

जानवरों का अपमान क्यों कर रहें

इंसानियत कुछ ही दिलों में

सिमट कर रह ना जाए कहीं

कोई इलाज मिले तो बताइए

यक़ीन है, बस इंतज़ार किए जा रहे हैं

-सुषमा तिवारी

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