जीना इसी का नाम है

जीना इसी का नाम है

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Shweta Gupta
Shweta Gupta 18 Sep, 2022 | 1 min read

रेड लाइट पर गुब्बारे बेचता राजू या घर पे काम करती पिंकी, इमारत बनाने में ईंट उठता मोहन या बाजार में भीक मांगता संजय। 

दो वक्त की रोटी कमाकर, जब पहुँचते हैं वो घर, पुछते अपनी मां से एक ही सवाल, मां क्या जीना इसी का नाम है।

एक गृहणी जो लगी रहती घर की देखभल और घरवालों की सेवा दारी में, दो बोल कोई प्रशंसा के कहे सोचती रहती वो, पूछे खुद से क्या जीना इसी का नाम है। 

एक छात्र स्कूल में, सर पर परीक्षा का हो साया, प्रथम आने की होड़ में, दिन रात मेहनत कर भी ना अव्वल आया, तो कहता खुद से क्या जीना इसी का नाम है। 

ऑफिस में प्रमोशन के लिए, बॉस के तलवे भी चाटे, सेवा करि सोचकर की मेवा मिलेगा, पर खुशखबरी देने का मौका ना मिला तो कहते हैं क्या इसी का नाम है। 

फिल्मी सितारों की चमकती सी लगती है बाहरी जिंदगी, पर उनके अंदर के अंधियारे को कौन जाने, इर्द गिर्द मंडराते रहते सब, एक पल का सुकून नहीं, कहते वो भी क्या जीना इसी का नाम है। 

जिंदगी भगवान का ऐसा तोहफा है, जिसे हम धीरे धीरे खोलते हैं, कभी खुशी के आंसुओं में भीगेते हैं और कभी गम में रोते हैं। 

कोई तुमसे पुछे जिंदगी के सफर का सही रास्ता क्या है, कहो, मंजिल सबकी एक है बाकी सब मोह माया है। 

अमीर हो या गरीब, बड़ा हो या छोटा, जीने की परीभाषा है सबकी अलग, कोई सब होकर भी खुश नहीं और कोई कुछ ना होकर भी जिंदगी के फलसफे में है मगन। 

बहुत कम मिलेंगे दुनिया में जो गुनगुनाये 'जीना इसी का नाम है',

पर शिकन रख माथे पर 'क्या जीना इसी का नाम है', पूछने वाले अनगिनत मिलेंगे। 

दूसरों को देखकर जलना नहीं, छोटी खुशी को बड़ा बनाना है जिंदगी, 

नज़रिया एक बार बदलो, जीने के स्वाद दुगना देगी जिंदगी।

करो खुद से प्यार, खुशी खुद कदम चूमेगी, लगाओगे जिंदगी को गले, जिंदगी तुम्हें भी गले लगाएगी। 

बाबूमोशाय! अपनी जिंदगी को लंबा नहीं बनाओ बड़ा,

 गिरकर संभलना, संभलकर चलना, बस इसी का नाम है जीना.


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