भ्रम, जब ये विषय मैंने पड़ा इस बार,
नजाने क्यों एक ही भड़ास लिखने का मन किया बार बार।
ये लेख जुड़ा है आजकी वास्तविकता से जिसका गवाह है समस्त संसार,
एक भ्रम जिस्मे जी रही हम सब, अब हो चूका है उसका परदाफाश।
हम लड़कियां हैं सुरक्षित, हमें भी मिलेगा पुरूषों जैसा मान सम्मान,
टूट गए ये भ्रम सारे, जब सामने आया दिल देहलाने वाला निर्भया कांड।
रूह कांप उठती है, आंखों में नमी महसूस होती है, डर लगने लगता है कि अगली बारी किसी की भी हो सकती है।
ये भ्रम था हमें की पंख फेलकर छुलेंगे आसमान,
पर भूल गए इन राहों में मुश्किलें नहीं होंगी आसान।
नारी शोषन की वारदातें हो गई अब कितनी कितनी आम,
क्योंकि अब नारी की इज्जत के सौदे का सस्ता हुआ है दाम,
भ्रम में जी रही थी हम सब, हैवान घूम रहे अब सर उठाये सरे आम।
सड़कों पर निकलना हमारा हुआ जैसे अपराध, कपडे पहने अधूरे तो होंगे हम शिकार.
सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकता कोई, न ले सकती ये सरकार।
भ्रम में जी रही थी हम सब, नारी उत्पीड़न हो रही अब ला िलाज।
बेफ़िक्र रहो कानून करेगा हिफाज़त हमारी, न रखो अब मन में ख़ौफ़, पर श्रद्धा जैसे भी कई केस हुए, चीखें मीडिया पर सुनी हमें सुबह शाम।
भ्रम में जी रही थी हम सब, खौफ में जीने की आदत डालनी होगी, क्योंकि हिफाजत कर सकते हैं अब सिर्फ भगवान.
कब लगेगा हैवानियत पर अब पूर्णविराम, जिस भ्रम में हम जी रही थी, बन के रह गया अब बड़ा मजाक, हमें ना चाहिए बंगला गाड़ी, ना कोई चमकता गहना, मांग हमारी इतनी सी कि गुनहगारों को मिले सजा, लग जाए रोक नारी शोषन जैसी माहवारी पर और ले सकें हम सुकून से भरी सांस...सुकून से भरी सांस...
Picture source - internet
Shweta
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