मां

मां

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Shweta Gupta
Shweta Gupta 15 May, 2023 | 0 mins read

समुंदर किनारे पैर की उँगलियों में रेत रेट और दुबते सूरज को जब देखा तो सोचा यही सुकून है, फिर पहाड़ों पर ठंडी हवा के झोंकों ने जब समेटा सोचा यही जन्नत है,

फलों के बाग में जब खुदको खोया तब सोचा यहीं जीवन की मिठास है,

बागीचे में फूलों को अपनी ओर मुस्कुराते देखा तो लगा यही सबसे खूबसूरत तस्वीर है,

दोस्तों संग तफरी करते सोचा जीलो बस यही तो एक जिंदगी है,

पर थक हार कर जब घर वापस आई और मां ने सर पर हाथ फेरा, तब समझ आया सुकून मां की गोद में, जन्नत उसके कदमों में, उसकी मुस्कान खिलता गुलाब, उसकी बोली सबसे मीठी और इसके साथ बिताया हर पल खास।

फिर मैंने जाना की मां अंबर है मां धारा है,

मां एक दरिया मां ही चमक सितारा है,

मां दौड़ी जिंदगी का ठहराव है, मां ही सारे सवालों का जवाब है,

माँ सर्दी में कोसी धूप है माँ ही ठंडी छाव है,

मां ही एक सच और मां ही सुहाना ख्वाब है।

मां दिल है मां ही धड़कन की धुन है,

मां झूठ से प्रे है मां ही सबसे बड़ा सच है।

मां का स्पर्श सबसे निर्मल मां की डांट में भी प्यार है।

मां से जीवन की शुरुआत मां में समस्त संसार है, मां तिनके की तरह कोमल मां बच्चे के लिए बनती चट्टान है।

मां खुशियों का स्रोत है, मां ही दुखों का इलाज है। मां हर बच्चे का पहला अल्फाज है मां ही आखिरी सहारा है,

मां तो एक अहसास है मां ही सर्वोत्तम प्रेरणा है,

मां एक झलक है, मां नहीं सिर्फ नाम है,

क्योंकि मां एक स्वरूप है जिस्मे बस्ते कृष्णा जिस्मे बस्ते राम है।

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