वक़्त बदला, और मैं भी बदल गई

वक़्त बदला, और मैं भी बदल गई

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Shweta Gupta
Shweta Gupta 09 Jul, 2023 | 1 min read

दृश्य १ - उस दिन मैं कुछ अलग तैयार हुई, सारी जो पहनी थी.. शीशे में खुदको देखकर एक बार फिर पल्ला सेट किआ और कहा 'अच्छी लग रही है'...

रेडी होकर बाहर गई... बेटी ने बोला मम्मा कहां जारी हो.. पति ने तो हमेशा की तरह ज्यादा ध्यान नहीं दिया.. सासु मां ने कहा आज क्या हुआ है.. सबको मैं रोज़ से कुछ अलग लगी क्योंकि मेरा ऊपर पहनवा अलग था..

मैं शीशे में देखकर खुद को फिर एक बार मुस्कुराइ, एक दो सेल्फी ली और होग्या..


दृश्य २ - मैं लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी, बेटी आई और उसने बोला मम्मा आप लैपटॉप पर क्या करोगे.. मुझे दे दो प्लीज मैं पेंट करूंगी.. मैंने भी कहा ठीक है।

ऐसे ही, एक दिन कहीं जाना था पतिदेव के साथ. मैंने कहा मुझे नई जाना, मेरा मन नहीं है.. पर उन्हें एक सेकंड मे जवाब दिया। क्या तू कौनसा व्यस्त है.. चलना तो पड़ेगा।

फिर एक बार शाम को मेहमान आए घर पर डिनर करने... 1 बजे गया और मुझे नींद आ रही थी.. तो किसी ने कहा.. क्या तुम तो कल दिन में सो लेना.. तुम्हें कौनसा ऑफिस जाना है..

हर बार जब भी ऐसा होता है, मैं फिर एक बार खुद को शीशे में देखती हूं और बस चेहरे पर थोड़ी थोड़ी सुस्त त्वचा, एक दो झुर्रियां, सफ़ेद बाल नज़र आते हैं।


दृश्य ३ - मैं अपने फ़ोन पर डाक्यूमेंट्स में कुछ लिख रही थी। बेटी ने कहा मम्मा आप फिर लिख रहे हो.. कृपया कुछ खेलो ना.. मैंने कहा बेटा बस 2 मिनट और मेरा काम खत्म हो जाएगा.. मम्मा.. जबसे आप पोएट बने हो, व्यस्त हो गए हो..

उस दिन पति को कहीं जाना था ऑफिस सहकर्मी के साथ 7 बजे। उन्हें कहा, श्वेता यार कृपया मुझे देर हो गई है.. मेरी कार की चाबियाँ ढूंढ दे।

मैंने भी एक सेकंड में रिप्लाई किया.. अरे यार मेरा 7 बीजे लाइव है इंस्टा पर। मुझे 10 मिनट दीजिये। और उन्होंने इंतज़ार किया और कहा आजकल बड़ा लाइव हो रहा है तेरा.. गर्व है तुम पर।

उसदिन मम्मी की दो दोस्त घर पर आई। पूछा कि आजकल क्या कर रही हो..माँ ने कहा, आजकल तो ये लिखने में व्यस्त है..कविताएँ लिखती है। मैंने देखा और वो आंटियां बड़ी ख़ुश, हम अपना लिए भी लिखवाएंगे..

मैं हंसी और चाय बनाने चली गई।


मैंने फिर उस दिन खुद को शीशे में देखा और कुछ अलग ही चमक थी चेहरे पर क्योंकि एक अलग ही पहचान थी अब।

एक लेखक बन गई हूं, चमकूंगी ही...

शुरू किया था लिखना जब, नए लोगों से पहचान होने लगी... पर धीरे-धीरे नए लोगों में मेरी पहचान होने लगी,

अलग-अलग शीर्षकों से नवाजा गया मुझे और एक नई कहानी शुरू हो गई,

सबका इतना प्यार सम्मान मिला और वो नूर मेरे चेहरे की चमक बन गई।


अब शीशे में खुदको देखकर मुस्कुराती हूं, सेल्फी लेती हूं और कहती हूं.. कुछ बात तो है मुझमें...

मैं उस व्यक्ति से प्यार करती हूं जिसे मैं आईने में देखती हूं जब मैं अच्छे कपड़े पहनती हूं और अपने कर्व्स दिखाती हूं..

लेकिन मैं उस व्यक्ति से सबसे ज्यादा प्यार करती हूं जिसे मैं दर्पण देखती हूं जब वह अंदर से खुश होती है जैसे कि अब!!!

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