माँ तो माँ है

Poem in hindi - माँ तो माँ है

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 423
Shweta Gupta
Shweta Gupta 05 May, 2022 | 1 min read

माँ कहती थी, जब खुद माँ बनेगी, तब पता चलेगा,

और मान गई ये बात जब गोद में मेरे आई एक नन्ही सी जान.

ये ख़ुशी ऐसी जिसे शब्दों में बयान करना बेहद कठिन,

माँ माँ के शब्द की मिठास पहुंचे कानों से सीधा माँ के दिल.

मातृत्व का एहसास गुलाब की तरह खूबसूरत और रजनीगंधा की तरह महकता है,

माँ और उसके बच्चे का रिश्ता,एक अटूट, सुनहरी डोर से बनता है.

माँ की एक झप्पी ही काफी है , सारी मुश्किलें भुलाने को,

उसके आँचल जैसी शीतल छाओं कहीं नहीं, जो बचाए पल में दुनिआ की तपिश से हमको.

अपने होठों की हसीं हमपर वो लुटाती है,

घेर खुदको ग़म के बादलों से, हम पर सारा प्यार बरसाती है.

उसकी डांट में भी एक अलग रौनक सी लगती है,

बाहर से कितनी भी कोशिश करले सख्त बनने की, दिल में बस दुलार भरे रखती है.

थकी हो चाहे जितना, हमें देखकर अपनी थकान वो भूल जाती है,

ज़िन्दगी की राह को कैसे आसान बनाना है,रिश्तों को कैसे निभाना है, वो एक माँ ही सिखाती है.

उसके बने खाने के हर निवाले में जन्नत सी लगती है,

एक माँ के हर स्पर्श में भगवान की झलक दिखाई देती है.

माँ एक एहसास नहीं,है वो तो एक जहां,

माँ है ऊपर वाले की सबसे सुन्दर,अमूल्य और अतुल्य रचना.

कहना चाहती हूँ आज मैं हर माँ को जिसने कोख से बच्चे को जनम दिया है पर जिसने जन्म ना देकर भी माँ का फ़र्ज़ अदा किआ,

तहे दिल से नमन, आपकी जगह कोई नहीं ले सकता माँ ...



  

0 likes

Support Shweta Gupta

Please login to support the author.

Published By

Shweta Gupta

Shweta Gupta

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.