टिप टिप टिप टिप, अरे प्लीज़ प्लम्बर को बुला लो, नल में से पानी टपक रहा है कबसे,
अरे एक एक बूँद ही तो है.. क्या हो रहा है इससे.
भूल गए क्या की एक एक बूँद से घड़ा भरता है,
और पता है, उसी भरे घड़े से दूर कहीं गाओ में किसी का घर चलता है.
वो मीलों दूर से घड़ा भरकर, सर पर उठाकर लाती है,
दुखती कमर,पसीने से लतपथ,पैर में छाले हो फिर भी, एक एक बूँद को वो बचाती है.
एक बूँद की एहमियत पूछो उस किसान से,
झुलस जाती जिसकी उम्मीद जब घने बदल आते हैं पर यही बूँद नहीं टपकती उसके खेतों में.
बारिश की एक बूँद बच्चे के चेहरे पर खिलखिलाती मुस्कान ले आती है,
वही एक बूँद अपना सफर तय करती सीपी का मोती बन जाती है.
पानी की हर बूँद है कीमती, नहीं खरीद सकते इसको तुम,
पानी ऐसा हीरा है, जिसकी चमक जैसा नहीं किसी में दम.
वो एक बूँद है छोटी, पर कर जाती वो तृप्त हमारी प्यास को,
जल बिन मछली हम बन जायेंगे,' इस एक बूँद की महत्वता को पहचानो.
पानी की एक भी बूँद न करो बर्बाद, वर्ण पानी की एक एक बूँद को तरस जाओगे,
इसी हर बूँद पर है आश्रित तुम मैं और ये समस्त संसार, सोचलो एक बार वर्ण आने वाली पीड़ी को क्या मुँह दिखाओगे.
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