Shweta Gupta
Shweta Gupta 29 Jan, 2024
चल चलें
चलते हुए नदी किनारे, थामे हाथों में हाथ, समुंद्र की लहरों को धुन पर नाचते देखा आज। सूरज बाहें फेला नए दिन की शुरूआत कर रहा है, अपनी लाली बिखेर गगन का रंग बदल रहा है। रेत जोड़ी की उंगलियों में फंस कर अस्तव्यस्त मन को आज़ाद कर रही है, सुकून को गले लगा दिल और दिमाग में फिर एक बार दोस्ती हो रही है.

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by Shweta Gupta

29 Jan, 2024

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