ग़ज़ल :- "तन्हा हूं"

ग़ज़ल :- "तन्हा हूं"

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SHIVANKIT TIWARI "Shiva"
SHIVANKIT TIWARI "Shiva" 11 Dec, 2020 | 1 min read
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किसको अपना हाल सुनाऊं तन्हा हूं,

आखिर किसको फोन लगाऊं तन्हा हूं,


भूख़,प्यास से ग्रसित क़ैद एक कमरे में,

माँ को रोज़ क्या हाल बताऊं तन्हा हूं,


अपने वाले यार सभी मुझसे है रूठे,

कैसे अब मैं उन्हें  मनाऊं तन्हा हूं,


आँसू लिपट के आंखों से अब रोते है,

जख़्मों को अब किसे दिखाऊं तन्हा हूं,


तेरी ख़ातिर दुनिया को भी छोड़ दिया,

आख़िर तुझको कैसे पाऊं तन्हा हूं,

- शिवांकित तिवारी "शिवा"




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