Dear मौत...शुक्रिया!

Dear मौत..शुक्रिया!

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SHIVANKIT TIWARI "Shiva" 11 Dec, 2020 | 1 min read
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सुन मौत !!

मेरी जिंदगी छीनने आई है,

हां तेरा हक़ भी है ये,

क्योंकि मरना तो सच्चाई है,

अब फैंसले की बारी,

तेरे और मेरे बीच का फांसला,

तेरे और मेरे दरमियां वो दृश्य,

जिसमें मै कठघरें पर खड़ा,

अपनी मौत के इंतजार में,

कुछ इस तरह से अपनी 

अन्तिम इच्छा पूरी करने का,

अन्तिम अवसर खोते हुये, 

अपनी आंखों से जिंदगी का साथ

जिंदगी से छूटते हुये देख रहा था,

मगर, अफ़सोस..

मुजरिम था मैं जिंदगी का,

क्योंकि,

मैंने जिंदगी के साथ ज्यादती,

हद से ज्यादा की हुई थी,

मगर नाइंसाफी हुई मेरे साथ, मुझे 

मौत से रूबरू होने का मौका,

ही नहीं मिला, मैं कठघरे पर खड़ा,

मौत के इंतजार में, इंतज़ार ही कर रहा था,

मगर अचानक से इस तमाशबीन जिंदगी ने,

सभी दलीलों,सबूतों और पक्षों को

मद्देनजर रखते हुये मुझे जिंदगी वापस,

शुरू करने और बेख़ौफ़ जीने का हुक्म

दे दिया !

एक बार फिर मौत मुझसे मिलते मिलते रह गई,

जी ले अपनी जिंदगी वापस ऐसा जाते जाते कह गई,

मैं तो कुछ समझ ही नहीं पाया,

कि कैसे मुझे जिंदगी ने फिर एक बार जिंदगी लौटा दी,

ख़ैर मुझे तुम्हारा भी शुक्रिया अदा करना था,

क्योंकि तुमने बहुत दुआयें मांगी थी मेरी खातिर,

मगर एक बात तो सच है,

तुम भी मुझसे मिलने के लिये आतुर हो,

तुम भी जिंदगी के तमाशे और,

 बेतुके फैंसले से तंग आ चुकी हो,

ख़ैर अब तमाशे ख़तम करता हूं मैं,

क्योंकि मुझे वापस जिंदगी जीने का हुक्म मिला है,

मगर मुझे तुमसे डर नहीं लगता,

क्योंकि तुम्हारा और मेरा साथ,

 तो निश्चित और अटल है !!

मौत सुनों ना अब मैं जीता हूं जिंदगी वापस,

क्योंकि सारी इच्छाओं,जिम्मेदारियों और कर्तव्यों का बोझ लेकर तुमसे दोबारा नहीं मिलना चाहता मैं,

सुनो ना मौत!! मिलते हैं फिर जल्द ही..

तुम्हारा शुक्रिया फ़िर से,

-©®शिवांकित तिवारी "शिवा"


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