आज हमारी धरती माँ का दिन है यानि “विश्व पृथ्वी दिवस” – जिस धरा पर हमारा जन्म होता है और जन्म से लेकर मृत्यु तक का सम्पूर्ण समय हम इसी पावन पुनीत धरा पर व्यतीत करते है। यह हमारे जीवन की सबसे अनमोल धरोहर है और सबसे पवित्र स्थान है। जिस प्रकार माँ नौ महीने कोख में रख कर हमें जीवन देती है और हमारे जीवन का संरक्षण करती है उसी तरह धरती माँ हमारे सारे जीवन को सदैव संरक्षण प्रदान करती है।
हमारे जीने के लिये आश्रय स्थान,खाने के अनाज और जीवन-यापन के लिये जो भी आवश्यक वस्तुयें चाहिये वह समस्त वस्तुयें इस धरा से ही प्राप्त होती हैं। यदि इस धरती में रहकर हम इसको बचाने के लिये जागरुक नहीं है इसका संरक्षण नही कर पा रहे है तो हमारे ऊपर एक कर्ज जीवन भर शेष रहता है क्योंकि जीवन भी हमारा इसी धरा पर होता है और हमारा अन्तिम संस्कार भी इसी धरा पर होता है।
वो कहते है न कि मिट्टी में पैदा हुआ,मिट्टी में पला बढ़ा और अन्त में मिट्टी में ही मिल गया। कितनी तरक्की कर ली है हमने इसी धरा पर रहकर मगर कभी भी इस धरा को बचाने का प्रयास तक नहीं किया। दिनों-दिन इस धरती पर खतरा मंडरा रहा है,धरा गर्त की ओर जा रही है। लगातार जंगल के जंगल साफ किये जा रहे है,पेड़ों की अधाधुंध कटाई की जा रही हैं। जंगलों में फैक्ट्रियाँ स्थापित की जा रही है। पर्यावरण को लगातार क्षति पहुँच रही है। यहाँ हम अपने निजी स्वार्थवश पृथ्वी और पर्यावरणीय सम्पत्तियों को नष्ट करने में तुले हुये है।
हम ये भूल रहे है की हमारा जीवन इनसे ही है और हमारे लिये ये हमारी साँसो की तरह आवश्यक है,तो यदि हम जीवन बचाना चाहते है और इस धरा को प्रदूषण मुक्त बनाना चाहते हैं तो हमें इन्हें बचाना होगा इनका संरक्षण पूरी युक्ति और तल्लीनता से करना होगा तभी हम शुध्दतापूर्वक साँस ले पायेगे और सुरक्षित जीवन जी सकेगें।
याद रखिये अगर धरा सुरक्षित है तभी हमारा जीवन सुरक्षित है। तो आप सभी जागरुकता से इसको बचाने की कवायद में जुट जाये और ज्यादा नहीं प्रतिवर्ष अपने और अपने परिवार के समस्त सदस्यों के जन्मदिवस पर एक पेड़ अवश्य लगायें और उसे संरक्षित रखनें का संकल्प ले यह एक छोटा सा प्रयास जिससे हमारे पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सकता है।
और यह हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। अगर हम सभी जागरुक है तभी हमारी धरोहरें सुरक्षित रह सकेगी।
एक प्रयास धरती बचाने का-
“सुरक्षित धरा-सुरक्षित जीवन
संरक्षित धरा-संरक्षित जीवन”
“हमें बचाना है पृथ्वी सब ले मिलकर संकल्प ।
वर्ना जीने का इस धरती पर कोई नही विकल्प ।।”
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