Psychology Article-7

लाड़-प्यार ने बिगाड़ दिया।

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 12 May, 2020 | 1 min read

रीना..... रीना .....कहता हुआ अवलोक ग़ुस्से से आवाज  लगाते हुए घर आया।कुछ नही सिखाया तुमने अपने लाल को।अवलोक उसके एक लोते बेटे पप्पू की बात कर रहा था।आज पप्पू और उसके पापा ऑफिस की पार्टी में गए थे।पता नही क्या हुआ जो इतना गुस्सा हो रहे है।हुआ क्या है ?क्या किया है?मेरे पप्पू ने रीना से पूछा।अवलोक बोला मुझसे क्या पूछती हो तुम्हे नही पता आपके लड़के के नाटक।कितना बिगड़ता जा रहा है,औऱ कितने नखरे भी करने लगा है।पर हुआ क्या है ? रीना ने पूछा।आज इसने सबके सामने मेरी नाक कटवा दी। इतनी मस्ती की जितनी तो ये घर पर भी नही करता।खाना खाते टाइम खाने की थाली में सबके सामने थूक दिया थोड़ा डाटा तो खाना नीचे फेक दिया जब नीचे से खाना उठाने को बोला को उसको पैर से दवा दिया।मेरा फ़ोन भी फेक के तोड़ दिया।सब के सामने मेरी इतनी बेज्जती करी।ये सब तुम्हरे लाड़-प्यार का नतीजा है।जब दोनों मिल कर पप्पू को डांटते हुए समझा रहे तब दादी जी ने पप्पू को बचा लिया और रीना ओर अवलोक को ही डांटने लगी।बच्चों को प्यार करने के साथ-साथ डांटने सही और गलत भी सीखना चाहिए।पप्पु उसकी दादी जी के लाड़-प्यार के कारण बिगड़ा था।जरूरत से ज्यादा प्यार करना और अच्छी आदतों को न सीखाना व्यवहार समस्या और पर्सनालिटी डिसॉर्डर्स  को जन्म देता है और दिनों दिन बढ़ता ही ज्यादा है।

तो चलिए व्यवहार समस्या औऱ पर्सनालिटी डिसॉर्डर्स को थोड़ा और समझे-

पर्सनालिटी डिसॉर्डर्स-
पर्सनालिटी एक स्थिर अवस्था नही होती है।जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ सकता है। व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्वझलकता है।

माँ-बाप का जरूरत से ज्यादा प्यार करना भी गलत है।गलत काम के लिए बच्चों को तुरंत टोका जाए तो बच्चों को बचपन से ही सही सिखाया जा सकता है।

अगर आपको मेरा आर्टिकल अच्छा लगे तो कमेंट में जरूर बताएं।

सविता कुशवाहा


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