Psychology Article-6

अगर आपका बच्चा भी पढ़ाई में कमजोर है?तो जाने लर्निंग डिसेबिलिटी को।

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 12 May, 2020 | 1 min read

अनमोल आज बहूत खुश था।उसका परिणाम जो आने वाला था पेपर का।पर उसकी माँ प्रिया को डर था कि कही हर साल की तरह वह इस साल भी फेल न हो गए।स्कूल पहूंच पर पता चला कि अनमोल इस साल भी फेल हो गया।अनमोल के पापा फिर से गुस्सा होंगे।कितनी मेहनत करी थी मैंने अनमोल को पढ़ाने में चार- चार कोचिंग क्लॉस भी भेजी फिर भी जिसका डर था वही हुआ।अनमोल भी दुखी था मम्मा ये क्या हो गया।मैं फिर से फेल कैसे हो गया।में तो पूरा पेपर कर के आता हूं मासूमियत से बोला।कोई बात नही बेटा हम अगले साल फिर से कोशिस करेगे ऐसा बोल कर खुद को समझाया और अनमोल को भी।

मन ही मन प्रिया को चिंता थी पड़ोसन का लड़का तरुण तो पास हो गया है उनको क्या मुँह दिखाऊँगी।इतने में घर आ गया।

शाम को पार्क जाते समय पड़ोसन ने बोल ही दिया मेरा तरुण के 92%बने है।अनमोल को बोलना ज्यादा चिंता न करे और अगली साल फिर से पेपर दे उसकी आवाज से साफ दिख रहा था कि ताना मार रही है।

घर आ कर उसने सोचा कि अनमोल गलती कहा करता है ये देखना पड़ेगा पहले।उसने अनमोल से पेपर के सारे प्रश्नों के उत्तर लिखवाये खुद के सामने बैठा कर।ये क्या सारे के सारे पेपर सही पर कुल 5 घण्टे लगे और पेपर में तो 3 घण्टे ही मिलते है।इसलिए ये पेपर में नही लिख पता होगा शायद?प्रिया ने ध्यान दिया तो पता चला कि अनमोल धीरे-धीरे लिखता है जिस वजह से इसका पेपर छूट जाता है और पेपर पर फोकस नही कर पाता इसलिए पेपर आते हुए भी गलत लिख कर आता है। इसी को ध्यान में रख कर तैयारी करवाई औऱ इस साल अनमोल 98%से पास हुआ।प्रिया की खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नही था।

तो चलिए लर्निंग डिसेबिलिटी को और समझे-

लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability)-

                                         लर्निंग डिसेबिलिटी बच्चों की सीखने की क्षमता को प्रभावित करती है।बच्चों का बौद्धिक स्तर बहुत अधिक होता है फिर भी यह आम बच्चो की तुलना में पढ़ाई में कमजोर होते होते है।बच्चों को पढ़ने-लिखने और समझने में परेशानी होती है।

समाधान-

            

                  लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक आम बात है जिसमें बहुत से बच्चे प्रभावित देखे जाते हैं। माँ-बाप और अध्यापकों के प्रयास से बच्चे स्कूल में दुसरे बच्चों के सामान पढाई में अच्छा प्रदर्शन दे सकते हैं। लेकिन जरुरी है की उनके अन्दर छुपी प्रतिभा को पहचाना जाये।

संकेत-

        

मानसिक विकलांगता वाले बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में बाद में बैठना, घुटनों के बल चलना और पैरों पर चलना या बोलना सीख पाते हैं।

मानसिक वकलांगता वाले बच्चों में निम्नलिखित विशेषताएं देखी जा सकती हैं:

*मौखिक भाषा का विकास में देरी से होता है।

*सामाजिक नियमों को सीखने में कठिनाई होती है। *समस्या का हल करने के में कठिनाई होती है।

* स्वयं-सहायता या खुद अपनी देखभाल करने में कठिनाई होती है।

अगर आपको मेरा आज का ज्ञान वर्धन आर्टिकल अच्छा लगा तो तो कमेंट में जरूर बताएं।

सविता कुशवाहा

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