आज रेखा बहुत खुश थी क्योंकि उसके 3 साल के बेटे हर्ष का स्कूल में एडमिशन करवाने जाना था।शाम को आफिस से घर आ कर प्रमोद ने कहा रेखा आज तुम हर्ष के एडमिशन के लिए गई थी न क्या हुआ? तुमने बताया नही।रेखा बोली नही हुआ एडमिशन स्कूल वाले बोल रहे है कि हमारे बच्चे को ऑटिज्म है।प्रमोद बोला अरे वो स्कूल वाले पागल है दिल्ली में और भी बहुत सारे स्कूल है वह जाती तुम भी ना इतनी जल्दी परेसान हो जाती हो।मैं सारे अच्छे स्कूल में जा चुकी हूं।सब ने यही बोला की हमारे हर्ष का एडमिशन नही होगा।
प्रमोद ने कहा तुम चिंता मत करो कल हम अच्छे डॉक्टर के पास जायेगे।रेखा को कहा नींद आने वाली थी।
वह इन सब मे कही न कही खुद को दोषी मानने लगी।
कुछ दिन पहले बगल की शीला अपने 3 साल के बेटे राम के साथ पार्क में बैठी थी साथ मे शीला ओर हर्ष भी थे।राम का स्कूल में एडमिशन हो गया था।शीला और रेखा अच्छे दोस्त थे क्योंकि राम और हर्ष की उम्र में केवल 2 दिन का फ़र्क था।हर्ष अपनी माँ की गोद मे शांत बैठा था और राम ने मानो पूरा पार्क अपने सर पर उठा रखा था।दौड़ना,भागना,मस्ती सब कुछ राम कर पाता था और हर्ष नही।उस दिन शीला ने रेखा से कहा था कि हर्ष इतना शांत क्यों रहता है।इस उम्र में तो बच्चे कितनी मस्ती करते हैं मुझे लगता है इसका विकास धीमा चल रहा है तुझे डॉक्टर से मिलना चाहिए।इस बात पर रेखा तुरन्त बोली मुझे शांत बच्चे बहुत अच्छे लगते लगते है।राम की तरह नही जो हर दिन किसी न किसी को मार कर औऱ लड़ाई कर के आता है ऐसा कहते हुए शीला की बात काट दी।
यह लेटे-लेटे रेखा सोच रही थी कि शीला ने उस दिन सही कहा था।मैं माँ हूँ मुझे ये बात का एहसास न जाने क्यों नही हुआ।ऐसा सोचते-सोचते न जाने कब रेखा की नीद लग गई।अगले दिन रेखा और प्रमोद अस्पताल में
थे। डॉक्टर ने कहा कि हर्ष को ऑटिज्म है और ठीक होने काफी टाइम लगेगा और ये ठीक भी तभी होगा जब आप लोग इस बात को स्वीकार करेगे की आपके बेटे को ऑटिज्म है।डॉक्टर की बात को दोनो ने मना क्यों की दोनो पढ़े-लिखे।हर्ष का इलाज चल रहा है और वो अपने ही तरह के बच्चों के साथ पढ़ाई करता है।
अब उसकी जिंदगी आम बच्चो की तरह बिलकुल नही है।
तो चलिए ऑटिज्म के बारे में कुछ और जानकारी ले-
Autism(आटिज्म)-
आटिज्म एक मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन मे ही दिखाई देने लगते है।इस रोग से पीड़त बच्चों का विकाश बाकी बच्चों की तुलना में धीमा होता है।अगर आपका बच्चा आपके चेहरे को देख कर कोई प्रतिक्रिया नही देता है,वह आपकी आवाज सुनने के बाद भी न ही खुश होता और न ही जवाब देता है,वह दूसरे बच्चो की तुलना में ज्यादा चुप ओर दुखी रहता है तो मान लीजिये की आपके बच्चे को ऑटिज्म है।
आटिज्म के लक्षण -
*इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अपने आप में ही गुम रहते हैं वे किसी एक ही चीज को लेकर खोए रहते हैं।
* उनकी सोच बहुत विकसित नहीं होती है।इसलिए वे रचनात्मकता से दूर ही नजर आते हैं।
* अगर आपका बच्चा नौ महीने का होने के बावजूद न तो मुस्कुराता है और न ही कोई प्रतिक्रिया देता है तो सावधान हो जाइए।
*अगर बच्चा बोलने के बजाय अजीब-अजीब सी आवाजें निकाले तो यह समय सावधान हो जाने का है।
अगर आपको मेरा आज का ज्ञान वर्धन आर्टिकल अच्छा लगा तो तो कमेंट में जरूर बताते।
सविता कुशवाहा
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