चारो ओर चहल-पहल थीं।पूरी हवेली को सजाया जा रहा था।आखिर सजाते भी क्यो नही इतनी सालो बाद कुछ अच्छा होने जा रहा है ठाकुर साहब के एक लोते बेटे ने एक हफ्ते पहले ही शादी की और अब 10 साल बाद अमेरिका से गांव आ रहे है वो भी बहु रानी के साथ।
मैं बचपन से ही हवेली में रहता हूं सारा काम करता हूं,यही खाता और सोता हूं।
अरे में भी क्या सोचते लगा ठकुराईन ने तो मुझे पूजा की थाली लगाने को कहा था वो लोग आते ही होंगे।
करीब आधे घण्टे बाद-
ठकुराईन छोटे ठाकुर साहब औऱ बहु रानी की आरती उतार रही थी।मैं भीड़ के कारण बहु रानी को देख नही पा रहा था और मेरी उसको देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।मैं तो बहु रानी को कभी भी देख सकता हूं मुझे तो यही रहना है ऐसा सोच कर जा ही रहा था की पीछे से आवाज आई..... सुनिए........मैंने सोचा पूरी हवेली में सब मुझे छोटू बोलते है पर ये कौन है???मैने देखा तो बहु रानी थी।मैं उनको देखते ही रह गया इतनी सुंदर मासूम से चेहरा था उनका।कुछ देर तो मुझे कुछ समझ नही आया जिसे देखने के लिए में इतना उतावला हुआ जा था था वह खुद ही मेरे सामने आ गई।क्या सोचने लगे ?????हेल्लो में आपसे बोल रही हूं आप ही छोटू है?? बहु रानी ने कहा।
जी जी जी मैं ही छोटू हूं मैने हड़बड़ाते हुए कहा।
एक गिलाश पानी मिलेगा बहु रानी ने कहा??
जी बिलकुल मैंने तुरंत कहा।
मैं बहुत खुश था बहुत ज्यादा पता नही क्यों????
अब तो रोज में बहु रानी के पीछे-पीछे घूमता और उनसे बाते करना मुझे बहुत अच्छा लगता था।कुछ दिनों में मेरी उनसे बहुत अच्छी जमने लगी।वो बहुत चुलबुली थी और हमेशा मस्ती मजाक करती रहती थी।शायद कही न कही मैं उन्हे पसन्द करने लगा था शादी के बारे में तो मैं कभी सोच नही सकता था,किसी से कभी कुछ कहा भी नही हमेशा यही चाहा की बहु रानी हमेशा खुश रहे।
हमेशा की तरह मैं खाना बना रहा था और बहु रानी मेरी मदद कर रही थी साथ-साथ बाते कर रही थी।
तभी फ़ोन की रिंग बजी।उस एक फ़ोन रिंग ने बहु रानी की पूरी ज़िंदगी ही बदल दी।छोटे ठाकुर साहब जी का एक्सीडेंट हो गया औऱ वो अब इस दुनिया मैं नही रहे।
हँसने-खेलने वाली बहु रानी शांत रहने लगी,उन्हें किसी से बात करने,हँसने,मस्ती करने में अब शर्म सी आने लगी।हवेली की एक लोती बहु जो मखमल के बिस्कर में सोने वाली अब कोठे में जमीन पर सोने लगी,साड़ी में जो वो बिकुल परी लगती थी अब सफेद कपड़ो में मुझसे देखी नही जा रही थी और आज शाम को ये गाँव वाले बहु रानी के सर के पूरे बाल भी कटवा रहे थे।मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू बहुत सारे सवाल थे मन में पर जानता था कोई समझेगा नही।मुझसे रहा नही गया और मैं उन लोगो के बीच पहुँच गया जो लोग बहु रानी के बाल काट रहे थे बहुत से लोग थे वहाँ बड़े-बड़े पंडित, गांव का सरपंच और भी न जाने कौन-कौन।
बहु रानी अपने बाल नही कटवायेगी।छोटे ठाकुर नही रहे इसका मतलब ये तो नही की बहु रानी को अब जीने का कोई हक नही,वो हँसना छोड़ दे मैने कहा।तभी ठकुराईन ने कहा ये विधवा हैं इसे ये सब करना ही होगा।तभी छोटू ने जमीन पर रखा सिन्दूर उठाया औऱ बहु रानी की मांग भर दी और उनका हाथ पकड़ कर चल दिया।सभी को अपने सावलो के जवाब मिल चुके थे।।।
सविता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very nice story
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