मोहल्ला में सनसनी मची हुई हथी एक ही मोहल्ला के मोड़ा-मोड़ी 4 दीना से घरे नही उये हथे।कोउ को कुछ पता नही हथो।डर के मारे उन ओर ने पुलीस में रिपोर्ट न कराई थी कई से दोनन के घर बालन का सक हति की दोनउ सनग्गे हुये दोनन को फ़ोन बंद बता रहो थो।पेला तो दोनन के घर बारे आपस मे लड़ रहए थे फिर दोनन को समझ आ गओ की लड़ने में कोई फायदा न है बच्चो को ढूढना ज्यादा जरूरी है।पतो नही बे ओरे का हाल में है एक बार मिल जय बस फिर दोनन को विआओ करवा देबि समाज अलग है तो का हुआ बच्चनन खुशी ज्यादा जरूरी है।और इधर संजय और सीता साथ मे फरार खुश और घबराए हुए थे।बहुत सोच समझ कर उन्होंने जो फैसला लाओ थो।घर बालन खा बहुत मनाओ पर कोई नही मानो दोनन को मिलान - जुलना भी बंद करवा दो थो।उन्होंने गांव के मुखिया से भी बात करि थी पर ये ओरे भी उनके मताई-बाप के तरफ बोल रहे थे जब संजय ओर सीता को कोई भी रास्ता नही मिला तो उनने मौका देख कर भागने का फैसला लिया।वो लोग ये अच्छे से जानत थे कि घर बारे उनको विआओ न करवा है।
बहुत ढूढ़ने के बाद 15 दिन पर संजय और सीता का शव मिला संजय के पुराने वाले घर मे।
दोनो के घर वालो के पास पछताने के अलावा और कोई रास्ता नही थो काश दोनन के घर वाले पेला मान जाते तो आज वो दोनों जिंदा होते।
सविता कुशवाहा
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