आज मैं आप सभी के सामने एक छोटी सी कहानी पेश करने जा रही हु अपनी भाषा बुंदेलखंडी में।
अरे ओ काकी तुम्हरी बहु ने लड़की जन्मी जी।लक्ष्मी आ गई तुमाए घरे..... पर ??? पर का ?मोरी नातन ठीक तो है ना?? शीला ने नाउन से कहा??? हा ठीक तो लेकिन उको वजन ज्यादा बताओ है डाक्टर ने बाकी ओर कोनऊ परेशानी नाइ आ।तम चिन्ता न करो भये के लडुअन नही तैयारी करो।टेम निकरत जात ओर हल्की की मोड़ी बड़ी हो जात ओर रज्जो उको नाम पड़ जात है।रज्जो पडवे-लिखवे में सबसे आगे रात ती।शाम की टेम रज्जो खाना खा रही थी अम्मा एक रोटी और देऊं तनक कम खाये करे बेटा देख कैसी मोतात जा रही है।रज्जो खाना पे से उठ गई अब उसको भूख नही थी ईसो पहले भी कईअन बार भाऊ है हद्द हो गई अब तो जो कोऊ आत है मोये ताने मारत है।रज्जो खा अब इन सब की आदत पड़ गई थी।जो सोच के वा चुपी साध लेट थी कि सासरे में उये जो अब न सूनने पड़े।वा जो कोन जानत थी कि ऊके नसीब में विआओ शादी कुछ लिखो ही नही आ।जो कोऊ भी उये देखन आत है जो के के सीधे मना कर डेड के बिटिया तो बहित साजी है पर तनक मोती है।आखिर कर माता रानी ने ऊकि प्राथना सुन लई और रज्जो को एक साजे परिवार में विआओ हो गओ।इसके बाद भी ताने बंद न भये सासरे में भी जो कोऊ आत जो ही बोलत की बोरे के घाई बहु।
रज्जो नही बहुत बार खाना पीना बन्द के देखो की शायद कछू फ़र्क पड़े पर ऐसा कुछ न भयो रज्जो की तबियत खराब रान लगी।रज्जो के दिन इतने बोरए चल रहे थे कि सासरे वालन ने भी रज्जो को विलात दीना तक नहीं राखो रज्जो मायके आ गई मायके आ के तो ऊके ताने ओर भी ज्यादा बढ़ गए और भी मायके से भी चली गई औऱ सबइ से दूर किराए की मकान की राह लगी।रज्जो सब कुछ से हार चुकी है थी।
तीन महीने बाद रज्जो की सरकारी नॉकरी लग गई रज्जो 40,000 महीना कामन लगी।लड़कन की अब लाइन लगी रात है सासरे वाले ओर मायके वाले रोज फ़ोन लगा-लगा रज्जो को बुलात है पर रज्जो को अपनी दुनिया मे अकेले ही राने है।
सविता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह बहुत ही अच्छी कहानी है
Thanks ji
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