बारिश से नफरत।

ममता की स्टोरी।ममता किस कारण बारिश से नफरत करने लगी।

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 17 Jul, 2020 | 1 min read
Emotions Monsoon Rain

लोग बारिश का इंतजार करते है,बारिश को देख कर सुकून महसूस करते है बारिश में मस्ती करते है घूमने जाते है और बाद में बारिश का इंतेजार करते है ओर बारिश को देख के बीते हुए हम्हे याद करते है।लेकिन ममता के जीवन मे बारिश दुःख,शोक और दर्द ले कर आती है।

दो साल पहले-

ममता राज ने लव मैरिज की थी दोनो के घर वाले शादी को मंजूर नही थे इसलिए दोनों ने मिल कर सबसे रिस्ते तोड़ कर अलग रहने का फैसला लिया।एक दिन ममता कमरे में अकेली बैठी रो रही थी तभी राज(ममता का पति) वह आया और बोला तुम फिर से वही सब सोचने लगी कितनी बार बोला है ज़्यादा मत सोचो सब ठीक हो जाएगा।कैसे न सोचु राज शादी के सात साल हो गए अभी तक बच्चा नही हुआ लोग कितने प्रकार की बाते करते है मैं परेशान हो जाती हूं।मैं कोशीश तो कर रहा हूं न।तुम करते रहो कोशिश ? ममता ने गुस्से से कहा।ममता बहुत परेशान रहने लगी उसे किसी से बात करता अच्छा नही लगता था उसे किसी भी कीमत पर बच्चा चाहिए था वो सारा दिन पूजा-पाठ में लगी रहती थी।बहुत से बाबा और तंत्त्रक के पास भी गई पर कहते है ना भगवान देर से सही पर सुनता सब की है ममता की बात भी भगवान ने मान ली शादी के 7 साल बाद वो गर्भवती हुई।ममता बहुत खुश थी मानो उसे सब कुछ मिल गया हो और राज की खुशी का भी कोई ठिकाना नही था।राज ममता का पूरा ध्यान रखता और टाइम-टाइम पर ममता को डॉक्टर के पास ले जाता।9 महीने कैसे बीत गए पता भी नही चला।डॉक्टर ने मेरी डिलेवरी की डेट 10 अगस्त को दी थी जैसे-जैसे डेट नजदीक आते जा रही थी ममता को टेंशन होते जा रही थीं।2 दिन बाद ममता की डिलेवरी होनी थी इसलिए आज ममता को अस्पताल जाना था।पिछले 2 दिनों से लगातार बहुत तेज़ बारिश हो रही थी और राज भी अभी तक घर नही आये थे।फ़ोन भी नही लग रहा।देखते ही देखते रात के 11 बज गए राज तो 8 बजे ही घर आ जाते थे।तभी फोन की घण्टी बजी अस्पताल से कॉल था राज को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी और वो बहुत बुरी तरह घायल है तुम जल्दी आ जाओ।ममता अब अस्पताल कैसे पहुँचती इतनी बारिश होने के कारण टेक्सि,ऑटो कुछ नई मिल रहा था जब तक ममता अस्पताल पहुँची बहुत देर हो चुकी थीं।वो राज को खो चुकी थी।पूरी तरह टूटी हुई ममता खुद को संभालती भी तो कैसे इतनी बड़ी खुशी के समय उसने अपने पति को खो दिया जिससे वो बहुत प्यार करती थीं।राज को तो खो दिया है कम से कम अपने बच्चे के खातिर उसने खुद को संभाला क्यों कि अगले दिन उसकी डिलेवरी होनी थी।ये क्या उसके पेट मे दर्द शुरू हो गया था।वो एम्बुलेंस को कॉल करती रही पर बारिश होने के कारण कोई एम्बुलेंस घर आने को तैयार नही थी।ममता अकेले घर मे परेशान होती रही अब उसका कोई नही था जो उसे अस्पताल पहूंचा सके।5 दिन से लगातार बारिश होने ले कारण सड़के जाम हो चुकी है नदी-नाले सब भर कर रोड पर आ गए है और ट्राफिक में गाड़ियां फसी हुई थी।ममता ने जैसे-तैसे कर के अपने पड़ोसियों को बुलाया बारिश रुक ने का इंतेजार करने के अलावा उसके पास कोई और रास्ता नही था।बारिश रुकने का नाम ही नही ले रही थी एक-एक बूंद उसको बहुत भारी लग रही थी।ममता को ऐसा लग रहा था जैसे एक -एक बूंद उसके बच्चे को मौत के पास ले जा रही हो।ममता औऱ उसके पड़ोसियों ने घर मे ही डिलेवरी करने का फैसला लिया इसके अलावा उसके पास कोई पर रास्ता भी नही था।ममता लड़का हुआ है पड़ोस की ताई ने कहा ममता ने सोच राज न सही इस बच्चे को राज का नाम दूँगी पर पता नही ममता की किस्मत में क्या लिखा था।बच्चे की सासे नही चल रही थी।इस दौरान ममता ने अपने नवजात शिशु को भी खो चुकी थी।ममता का बच्चा मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ।अब तो उसके जीने का कोई मक़सद ही नही बचा इस बारिश ने उसका पति और उसका बच्चा छीन लिया लिया।ये सदमा उससे बर्दाश नही हो पाया।ममता सिर्फ एक जिंदा लाश की तरह बन चुकी थी।2 दिन बाद आसमान खुल गया वो अस्पताल गई तो डॉक्टर ने बताया कि वो अब कभी माँ नही बन सकती।समाज वाले ममता की किस्मत को दोष देते है पर ममता बारिश को अगर उस दिन ऐसी बारिश न हुई होती तो आज मेरे पति और मेरा बच्चा जिंदा होते।हर साल जब भी बारिश होती है उसे यही सब याद आता है जो उसके साथ हुआ इसलिए ममता खुद को कमरे में बंद कर लेती है उसे बारिश से नफरत सी होती है।


सविता कुशवाहा

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