हिंदी-चीनी थे दो भाई
जरा सी बात पर हुई लड़ाई।
चीन ने अपना फायदा देखा और
पाक से दोस्ती निभाई ।
क्या न किया भारत ने चीन के लिए
कैसे कर के अर्थव्यवस्था सुधरवाई।
किया गलवान घाटी में जानलेवा हमला
न जाने कितने सैनिको ने अपनी जान गवाई।
अब नही छोड़ेंगे चीन को
आओ मिलकर करे इनसे लड़ाई।
जो कोई भी चीन की चीजें खरीदे
चलो मिलकर करे उनकी पिटाई।
आएगी जब दीपावली कोई न खरीदेगा
चीन से आने वाली सीरीज औऱ लाइट।
खाओ कसम स्वदेशी अपनाए
चीन का आयात तुरंत लौटाए।
आओ मिलकर ले यह प्रण
चीनी सामानों से न होगा कोई सबंध।
धोखा दिया तुमने ही ऐसा
अब किस मुह से लगाओगे मदद की गुहाई।
स्वरचित कविता
सविता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👏👏
Thanks manu
Very nice
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