माँ......मम्मा सुनो ना!!! सरिता किचिन से बाहर निकलती हुई बोली।थोड़ा सा बैठ हूं मम्मा बहुत थक गई हूं। हा बेटा बैठ ले वैसे भी सारा काम तू ही तो संभालती है मुझसे तो कुछ होता नही है अब।सरिता बहुत खुश थी वैसे तो सरिता हमेशा खुश रहती थी पर इस बार उसकी खुशी का कारण कुछ और था।वो अपने मायके जो जाने वाली थी।जल्दी ही सरिता के भैया उसे लेने आने वाले थे रक्षाबंधन के लिए।सरिता की शादी अभी-अभी हुई थी इसलिए उसका बचपन कभी खत्म नही हुआ था।उसने बातों-बातों में बोला मम्मी यहाँ पार्लर कहा है।क्यों क्या हुआ बेटा सरिता की सास ने पूछा?मुझे सर के बाल कटवाने है मम्मी जी 2 साल से नही कटवाये।दो साल से नही कटवाये तो क्या हुआ अब शादी हो गई है अब बाल नही कटवाते अबशगुन होता है बाकी तुम्हरी मर्जी शादी के बाद बाल वो कटवाते है जो विधवा हो जाते है शादी होने के बाद नही कटवाते।सरिता खुद को बहुत खुश्क़िस्मत मानती थी कि उसकी शादी बहुत अच्छे परिवार में हुई है।बस दुखी थी तो इस बात से सोच अभी तक उनकी पुराने ख्यालो के जैसी है।
जैसे एक बार की बात ही सरिता खाना बना रही थी कि तभी वो भूल गई कि उसने सब्जी में नमक डाला या नही ।मैने सोचा थोड़ा सा टेस्ट करके देख लेती हूं।जैसे ही टेस्ट किया वैसे ही मम्मी जी वह से निकली और उन्होंने देख लिया।ये क्या कर रही हो बेटा जब तक ससुर जी खाना नही खाते खाना जूठा नही करते।चलो ये खाना हटाओ और दूसरा खाना बनाओ।बिना मतलब में मेरी डबल मेहनत हो गई।जब तक इंसान की सोच नही बदलेगी तब तक कुछ नही बदलेगा।इसके लिए पहल हमे ही करनी होगी।
सविता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bilkul sahi kaha aapne
Ha ji
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