कोरोना ममहारी के कारण इस साल न जाने कितने भाई-बहन एक दूसरे को राखी नही बांध पाएंगे उन सभी के लिए एक कविता।
न मिल सकूँगी तुझसे न आ पाऊँगी तेरे पास
न आएगी वो बहुत सारी खुशियाँ
न आएगा वो मिठाईयो का भंडार।
न बोल पाएंगी वो मोहल्ले की भी अंटिया
की बेटा कब जाना है ससुराल।
न ले पाएंगे वो साथ वाली सेल्फी
न होगी स्टेटस पर फोटोज की भरमार।
कभी-कभी में इस बात से रह जाती हूं हैरान
जब मेरा बेटा बोलेगा की मम्मा इस साल नही जायेगे मामू पास।
जब कुछ नही होगा मेरे पास उसके इस सवाल का जवाब।विडीओ कॉलिंग कर के भटका दुगी उसका ध्यान।
जानती हूं तू मेरी रक्षा का पूरा फर्ज निभाएगा
कोरोना महामारी के कारण मुझे अपने पास नही बुलायेगा।
इसलिए मेरी राखी तो तुम्हरे पास आ ही जाएगी,
मेरे नाम की राखी तुम्हरे हाथ मे बंधेगी तुम्हरी कलाई खाली नही रह पाएगी।
सविता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह बहुत बढ़िया
भावुक कर दिया 🥺
Ha...Ji mn me aya to likh diya
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