हम सभी ने बचपन से ही श्री राम की सारी कथाएं ओर लीलाये अपने दादी-नानी औऱ बड़ो से सुनी है। बड़े होने पर हमने महार्षि वाल्मिकी जी के द्वारा प्रस्तुत रामायण में देख और पढ़ कर श्री राम के बारे में जाना कि श्री राम करुणा,त्याग और समर्पण की मूर्ति है और तो और उन्होंने किस तरह अपने सारे वचनों का पालन किया। श्री राम जब रावण का वध करके अयोध्या वापस आये थे तब उनका राज्याभिषेक किया गया औऱ फिर रामराज्य शुरू हुआ।ऐसा कहा जाता है कि रामराज्य में नियति कुछ इस तरह थी कि अगर पिता जिंदा है तो उसने पहले पुत्र की मृत्यु नही होगी।किसी भी व्यक्ति कि मृत्यु किसी भी बीमारी से नही होती थी हर व्यक्ति बुढ़ा हो कर ही अपने प्राण त्यागता था। मौसम समय से बदलते थे इसलिए हमेशा सुख,शांति और खुशहाली रहा करती थी इसलिए आज के समय मे सभी रामराज्य की कामना करते है।
राम राज्य होने के बाद भी राम राज्य में बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई जिसे सुन का आज भी आँखे नम हो जाती है। देवी सीता की लंका में अग्नि परीक्षा हो चुकी थी और श्री राम को पूरा यकीन था कि देवी सीता पवित्र है के बाद भी एक धोबी देवी सीता के चरित्र पर सवाल उठाए। भगवान राम ने धर्म का पालन करते हुए सीता को वनवास भेजने का आदेश दे दिया ये जानते हुए की देवी सीता गर्भवती है।
श्री राम शिष्टाचार और सदाचार के प्रतीक है उन्होंने अपने परिवार के बारे में न सोचते हुए एक राजा होने का पूरा धर्म निभाया और प्रजा की खुशियों को अधिक महत्व दिया। आज के समय मे राम राज्य की कल्पना तो सभी करते है पर न ही कोई राजा राम की तरह अपनी प्रजा को प्राथमिकता देता है और न ही प्रजा राजा रण की तरह वो आदर और सत्कार करना चाहती है।अगर हम वाकई में राम राज्य चाहते है तो पहले हमें खुद को बदलना होगा, खुद के प्रेम, सहानुभुति, अहिंसा और शिष्टाचार को अपनाना होगा तब कही आने वाली पीढ़ी को राम राज्य प्राप्त होगा।
सविता कुशवाहा
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