भारत के गौरव की गाथा
हम सब को सुनाएंगे
धर्म-जाति का बेर मिटाकर
दिल से दिल मिलाएंगे,
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई
मुहर्रम हो या दीपावली सब मिलकर मनाएंगे।
गंगा-यमुना जैसी पावन नदिया
इनको स्वच्छ बनायेगे,
यहाँ बून्द-बून्द में गंगा जमुना यह सब को दिखाएंगे,
भारत के गौरव की गाथा
हम सब को सुनायेंगे।
सारी बुराइयों को मिटा कर
सारे कर्त्तव्य निभाएंगे,
देश की संपदा को सुरक्षा दिलाएंगे,
भारत की गौरव की गाथा
हम सबको सुनाएंगे।
अनेकता में एकता के संकल्प को
हम कभी न झुठलायेंगे,
महापुरुषों के बलिदानों को व्यर्थ न हम गवाएंगे।
भारत की गौरव की गाथा
हम सब को सुनायेंगे।
सविता कुशवाहा
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