निकली जब मैं लम्बे सफर को।

Poem

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 18 May, 2020 | 1 min read

कोरोना की वजह से मजदूर किस तरह परेशान हो रहे है उसकी एक झलक कविता के माध्यम दे बताना चाहती हु।

निकली जब मैं लंबे सफर को
तो ये मैने क्या देख लिया,

बड़े बड़े ट्रको मैं सामान की
जगह लोगो को खड़ा देख लिया।

निकली जब मैं लंबे सफर में
तो ये मैने क्या देख लिया,

कड़ी धूप में एक माँ को अपने आँचल से
छोटे से बच्चे को बचाते देख लिया।

निकली जब मैं लंबे सफर में
तो ये मैने क्या देख लिया,

सर पर 25 किलो के आटे की बोरी और
दो बच्चे साथ मे लिए अपने घर की ओर पैदल जाते देख लिया।

निकली जब मैं लंबे सफर में
तो ये मैने क्या देख लिया,

दो रोटी के लिए चार-चार घण्टे
लम्बी लाइन में हजारो लोगो को खड़ा देख लिया,

निकली जब मैं लंबे सफर में
तो ये मैने क्या देख लिया।

घर कब पहुँचेगे इस आश में
उसकी आँखों को नम देख लिया,

निकली जब मैं लंबे सफर में
तो ये मैने क्या देख लिया।



सविता कुशवाहा


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