हर दफा यूँ लगे जैसे पहली दफा हो,
तुझे अलविदा कहना मानो संगीन खता हो...
दूरियां दरमियाँ भले हो दौर-ए-दस्तूर की,
हर पल तेरी मदहोशी जैसे नशा हो...
रोज करता हुँ ऐसे तो सफर-ए-जिन्दगी,
सफर का हो तू हमसफर तो कुछ और मजा हो...
__Soorat-e-haal
हर दफा यूँ लगे जैसे पहली दफा हो,
तुझे अलविदा कहना मानो संगीन खता हो...
दूरियां दरमियाँ भले हो दौर-ए-दस्तूर की,
हर पल तेरी मदहोशी जैसे नशा हो...
रोज करता हुँ ऐसे तो सफर-ए-जिन्दगी,
सफर का हो तू हमसफर तो कुछ और मजा हो...
__Soorat-e-haal
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